रियल एस्टेट सेक्टर में पहले से ही मंदी चल रही थी लेकिन कोरोना वायरस ने इसकी स्थिति और कमजोर कर दी है. देश में घरों की कम बिक्री से साबित होता है कि हालात कुछ ज्यादा ही खराब हैं. वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में देश के टॉप आठ शहरों में घरों की बिक्री में 54 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि अप्रैल से जून के बीच इनकी बिक्री 84 फीसदी घट गई. पिछले दस साल में किसी खास अवधि में घरों की बिक्री का यह सबसे खराब आंकड़ा है.


दिल्ली-एनसीआर का आंकड़ा सबसे खराब 


सबसे खराब हाल रहा एनसीआर की है. एनसीआर में मौजूदा वर्ष की पहली छमाही में घरों की बिक्री 73 फीसदी गिरी. जबकि लॉकडाउन के दौरान शायद ही कोई घर बिका. प्रॉपर्टी कंस्लटेंट कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक के मुताबिक देश में रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की बिक्री न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई  है.


नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई, एनसीआर, बेंगलुरू, पुणे, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता,अहमदाबाद में पहली छमाही में घरों के 59,538 यूनिट बिकीं. इसमें पहली तिमाही में 49,905 यूनिटें बिकी थीं. अप्रैल और जून के बीच सिर्फ 9623 घर बिके. कोरोना वायरस की वजह से ऑफिस स्पेस और कॉमर्शियल लीजिंग में भी गिरावट आई.


जनवरी से लेकर जून तक की अवधि ( जनवरी-जून, 2020) में पिछले साल की इसी अवधि कि तुलना में इसमें 37 फीसदी की गिरावट आई है. एनसीआर में घरों की बिक्री में जनवरी  से जून के बीच पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 73 फीसदी घट गई है. यहां लॉकडाउन के दौरान घरों की बिक्री लगभग नहीं के बराबर है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस स्थिति में अभी जल्दी सुधार की गुंजाइश नहीं दिखती. विश्लेषकों का मानना है कि कंपनियों की ओर से बड़े पैमाने पर भर्तियां शुरू होने तक ऐसे ही हालत रहेंगे.