Budget 2021: रियल्टी सेक्टर को सरकार की ओर से दिए गए राहत पैकेज का कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है. उम्मीद थी कि बैंक के होम लोन सस्ता होने और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में स्टैंप शुल्क कम होने से मकानों की बिक्री बढ़ेगी लेकिन इसकी रफ्तार धीमी है. रियल एस्टेट सेक्टर रोजगार मुहैया कराने के मामले में एक बड़ा सेक्टर है. लेकिन मकान न बिकने से इसमें भी इजाफा नहीं दिख रहा है.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल (2020) में मकानों की बिक्री 37 फीसदी गिर गई. जबकि ऑफिस स्पेस की बिक्री में 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. प्रॉपर्टी कंस्लटेंट्स नाइट फ्रैंक इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक आखिरी तिमाही में डिमांड में सुधार आया और यह कोविड पूर्व के स्तर पर आ गई.
दिल्ली-एनसीआर समेत 8 शहरों में बिक्री गिरी
रिपोर्ट के मुताबिक,दिल्ली-एनसीआर में मकानों की बिक्री में 2019 की तुलना में 2020 में 50 फीसदी घटकर 21,234 यूनिट्स रह गई. नाइट फ्रैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2020 में आठ प्रमुख शहरों में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की बिक्री घट कर 1,54,534 यूनिट रह गई, जो इससे पिछले साल 2,45,861 यूनिट्स थीं.
रिपोर्ट के मुताबिक सभी आठ प्रमुख शहरों में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में गिरावट आई. अहमदाबाद में डिमांड में सबसे ज्यादा और पुणे में सबसे कम गिरावट रही. पुणे में पिछले साल रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की बिक्री 18 फीसदी घटकर 26,919 यूनिट्स रह गई, जो इससे पिछले साल 32,809 यूनिट्स थीं. मुंबई में बिक्री 20 फीसदी घटी.
स्टैम्प ड्यूटी घटी लेकिन बिक्री में खास तेजी नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन पर अस्थायी रूप से स्टैम्प शुल्क में कटौती के बाद 2020 के आखिरी चार महीनों के दौरान मुंबई और पुणे में बिक्री बढ़ी. दिल्ली-एनसीआर में 2020 के दौरान रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की बिक्री 50 फीसदी घटकर 21,234 यूनिट्स रह गई, जो इससे पिछले साल में 42,828 यूनिट्स थीं. इस दौरान बेंगलुरु में मांग 51 फीसदी घटकर 23,079 यूनिट्स रह गई. रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के मामले में अहमदाबाद में सबसे ज्यादा गिरावट आई और यहां बिक्री 61 फीसदी घट कर 6,506 यूनिट्स रह गईं.
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