Recession In US Economy: अमेरिकी अर्थव्यवस्था (US Economy) के लिए नया साल 2025 बुरी खबर लेकर आ सकता है. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने का खतरा पैदा हो गया है. बढ़ते कर्ज (Rising debt) और बाजार असंतुलन (Market Imbalances) के बीच अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी आने की संभावना बढ़ती जा रहा है. इंवेस्टमेंट स्ट्रैटजी तैयार करने वाली दिग्गज प्लेटफॉर्म स्मॉलकेस ( Smallcase) ने एक स्टडी किया है जिसमें अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की गई है.
कर्ज के जाल में फंसा अमेरिका
स्मॉलकेस की इस स्टडी के मुताबिक अमेरिका पर लगातार बढ़ते कर्ज और मार्केट असंतलुन के चलते उसकी अर्थव्यवस्था मंदी में प्रवेश कर सकती है. स्टडी के मुताबिक स्टॉक्स, बिट्कॉइंस, कर्ज लेकर किया गए निवेश और मीम स्टॉक्स में जिस प्रकार की तेजी देखी जा रही है वो पागलपन को दर्शा रहा है जैसा कि कोविड लॉकडाउन के दौरान देखने को मिला था. स्मॉलकेस के मुताबिक अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मंदी में प्रवेश करने के खतरे के बीच सोने और चांदी में निवेश सबसे सुरक्षित निवेश के तौर पर उभरा है.
क्रेडिट कार्ड पेमेंट में बढ़ा डिफॉल्ट
इस स्टडी के मुताबिक, ऐसे मल्टीपल इकोनॉमिक इंडीकेटर्स ने अमेरिका में मंदी की संभावना को लेकर चिंता जाहिर की है. क्रेडिट कार्ड के भुगतान में चूक से लेकर हाई S&P 500 P/E रेश्यो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि आने वाले समय बेहद चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है. क्रेडिट कार्ड पेमेंट की चूक 2010 के बाद पहली बार 4% से ज्यादा देखी जा रही है जो बढ़ते वित्तीय संकट और उपभोक्ता खर्च में कमी के दबाव को दर्शाती है. ये इंडीकेटर्स इस ओर इशारा कर रहे हैं कि आर्थिक उतार-चढ़ाव बेहद ज्यादा है.
एक ट्रिलियन डॉलर गया ब्याज के भुगतान पर
अमेरिका का डेट-टू-जीडीपी रेश्यो (Debt-to-GDP ratio) रिकॉर्ड 124.3 फीसदी पर जा पहुंची है. 2023 में केवल कर्ज के ब्याज के भुगतान पर अमेरिका को 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च करना पड़ा है. इस बढ़ते कर्ज के चलते अमेरिका के इकोनॉमिक ग्रोथ और वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ा है. स्मॉलकेस स्टडी के मुताबिक, Sahm रूल जो मंदी का इंडीकेटर है वो अगस्त 2024 में 0.57 फीसदी हो चुका है. ये इंडीकेटर मंदी के तब संकेत देता है जब बेरोजगारी में 12 महीने निचले लेवल से 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिलती है. इस इंडीकेटर का 1970 के बाद से आर्थिक स्लोडाउन का अनुमान बेहद सटीक रहा है.
मंदी में सोने और चांदी का सहारा
स्मॉलकेस की इस स्टडी के मुताबिक आर्थिक संकट और अस्थिरता के माहौल में सोने और चांदी में निवेश सबसे भरोसेमंदी हेजिंग साबित हुआ है. ऐतिहासिक डेटा के मुताबिक मंदी के दौरान सोने में निवेश पर 100 फीसदी और चांदी में निवेश पर 300 फीसदी तक रिटर्न मिला है. इंवेस्टमेंट हेवेन और इंडस्ट्रियल एसेट्स होने के कारण मंदी के दौरान सोने और चांदी दूसरे तरीके से व्यवहार करते हैं. अलग-अलग मौकों पर मंदी के दौरान सोने और चांदी में जोरदार तेजी देखने को मिली है. चाहे वो ग्रेट डिप्रेशन का समय रहा हो या 1973-75 का दौर. 2000 और 2008-09 में और कोविड के दौरान भी सोने या चांदी ने शानदार रिटर्न दिया था.
सोने-चांदी में आएगी तेजी
स्मलकेस मैनेजर उज्जवल कुमार जो कि वेल्थ कल्चर के फाउंडर और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर हैं उन्हेंने कहा, ये कहना बेहद कठिन है कि अमेरिरी अर्थव्यवस्था कब मंदी में प्रवेश करेगा. लेकिन जो डेटा उपलब्ध हैं उसके मुताबिक हालात बेहद नहीं नजर आ रहे. उन्होंने निवेशकों को ऐसे हालात में मोमेंटम को चेज करने की जगह अपने पोर्टफोलियो के साथ बैलेंस अप्रोच रखने को कहा है. उन्होंने बताया कि अमेरिका में संभावित मंदी को लेकर और ज्यादा स्पष्टता आ जाती है तो सोने और चांदी बेहतरीन प्रदर्शन दिखा सकते हैं और इक्विटी के हेजिंग के तौर पर इसमें निवेश किया जा सकता है.
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