Telco Recovery: टेलीकॉम कंपनियों से जुर्माने की रिकवरी, ट्राई की नई तैयारी, सबसे ज्यादा बीएसएनएल को लगेगा फटका
Recovery from Telecoms: सरकारी बीएसएनएल और एमटीएनएल समेत सभी दूरसंचार कंपनियों पर जुर्माना बकाया है, जिनकी रिकवरी के लिए नियामक ट्राई ने अब सख्त रवैया अपना लिया है...
दूरसंचार नियामक ट्राई ने स्पैम को लेकर टेलीकॉम कंपनियों पर अपना रुख और सख्त कर लिया है. इसके लिए ट्राई ने दूरसंचार विभाग को सुझाव दिया है कि वह स्पैम से जुड़े नियमों को लेकर लगाए गए जुर्माने की रिकवरी के लिए टेलीकॉम कंपनियों की बैंक गारंटियों को इनकैश कराए.
ट्राई से ऐसी सख्ती की नहीं थी उम्मीद
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्राई ने दूरसंचार विभाग को सुझाव में कहा है कि वह स्पैम पर रोक लगाने में असफल रहने पर टेलीकॉम कंपनियों पर लगे जुर्माने को उनकी बैंक गारंटियों से वसूल करे. मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि ट्राई की यह सख्ती अप्रत्याशित है. किसी ने ऐसी उम्मीद नहीं की थी कि स्पैम को लेकर ट्राई इतना सख्त रुख अपना लेगा.
सबसे ज्यादा इनके ऊपर बकाया
दूरसंचार कंपनियों से स्पैम नियमों से संबंधित करीब 115 करोड़ रुपये की रिकवरी की जानी है. सबसे ज्यादा बकाया सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के ऊपर है. दोनों के ऊपर 8-10 साल में डिफॉल्ट से बकाए का आंकड़ा 50 करोड़ रुपये के पास पहुंच गया है. उसके बाद भारती एयरटेल से 20 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया से 15 करोड़ रुपये और रिलायंस जियो से 12 करोड़ रुपये की रिकवरी बन रही है. निजी कंपनियों के ऊपर बकाए की अवधि 10 महीने से 3 साल तक है.
कई बार भेजे जा चुके थे रिमाइंडर
दूरसंचार नियामक सभी कंपनियों को कई बार रिमाइंडर भेज चुका है और उन्हें जुर्माने का भुगतान करने की याद दिला चुका है. बार-बार याद दिलाने के बाद भी जुर्माना नहीं भरने के चलते ट्राई ने यह कदम उठाया है. कानून के हिसाब से ट्राई को यह ताकत दी गई है कि वह लगातार नियमों का उल्लंघन करने पर टेलीकॉम कंपनियों का लाइसेंस कैंसिल कर दे, लेकिन इस तरह के सख्त कदम अब तक कभी उठाए नहीं गए हैं.
हाल ही में बढ़ाई गई ये डेडलाइन
ट्राई ने हालिया दिनों में स्पैम पर लगातार सख्ती बढ़ाई है. इसके लिए नियामक ने सभी कंपनियों को डेडलाइन भी दिया था, लेकिन उसे बाद में डेडलाइन को खिसकाने पर मजबूर होना पड़ गया. इसके लिए ब्लॉकचेन बेस्ड नई व्यवस्था अपनाई गई है, जो स्पैम एसएमएस पर रोक लगाने के लिए है. पहले कंपनियों को अगस्त तक का ही समय दिया गया था. अब ट्राई ने इस डेडलाइन को 1 अक्टूबर तक खिसका दिया है.
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