बड़े ब्रांड के हाथों पिट रहे हैं FMCG प्रोडक्ट्स के रीजनल ब्रांड, लॉकडाउन ने बढ़ाई दिक्कत
लॉकडाउन के दौरान लोकल ब्रांड के बिस्कुटों की बाजार हिस्सेदारी लगभग 5 फीसदी घट गई है.
लॉकडाउन ने एफएमसीजी सेक्टर के रीजनल ब्रांड के लिए दिक्कत पैदा कर दी है. उनकी मार्केट हिस्सेदारी में पांच फीसदी कमी आई है, जबकि वॉल्यूम लगभग 20 फीसदी घट गया है. दरअसल लॉकडाउन के दौरान कंज्यूमर्स की ओर से नामी ब्रांड्स को मिल रहे तवज्जो, लेबर की समस्या और अंतिम ग्राहक तक सामान पहुंचाने में आड़े आ रही लॉजिस्टिक की दिक्कतों की वजह से रीजनल ब्रांड बाजार में अपनी हिस्सेदारी खोते जा रहे हैं.
इकनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक सॉफ्ट ड्रिंक, बिस्कुट, स्नैक्स, शहद और चाय जैसी चीजों में पिछले कुछ वक्त से रीजनल ब्रांड, स्थापित ब्रांड्स के लिए बड़ी चुनौती बन गए थे. हाइपर लोकल स्ट्रेटजी और आकर्षक मार्जिन की वजह से रीजनल ब्रांड ने अच्छी बढ़त हासिल कर ली थी. लेकिन अब उनकी यह बढ़त घटती जा रही है.
डिस्ट्रीब्यूशन में बढ़ी दिक्कतें
पार्ले प्रोडक्ट्स के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान लोकल ब्रांड के बिस्कुटों की बाजार हिस्सेदारी लगभग 5 फीसदी घट गई है. हालांकि रीजनल ब्रांड के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह अस्थायी दिक्कते हैं. लॉकडाउन का असर खत्म होते ही बिक्री पुराने स्तर पर आ जाएगी. एफएमसीजी प्रोडक्ट्स-खास कर डेयरी, चावल और आटे जैसे सेगमेंट ब्रांडेड प्रोडक्ट की हिस्सेदारी 10 फीसदी से भी कम है.
टी-मार्केट में छोटे प्लेयर्स और खुला चाय बेचने वाली कंपनियों की हिस्सेदारी 40 फीसदी के बराबर है. इनपुट कॉस्ट बढ़ने की वजह से ब्रांडेड चाय बेचने वाली कंपनियों को इन प्लेयर्स को टक्कर देना मुश्किल हो रहा है. लॉकडाउन के दौरान जिन कंपनियों के पास अच्छी खरीद व्यवस्था और चीजों को पहुंचाने के लिए बढ़िया लॉजिस्टिक सपोर्ट है, उन्हें अपना बिजनेस चमकाने में ज्याद सहूलियत हो रही है. रीजनल ब्रांड इसमें कमजोर दिख रहे हैं. इसका उन्हें घाटा उठाना पड़ा रहा है.
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