नई दिल्लीः रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सेबी के एक ऑर्डर के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण-सिक्योरिटी अपैलेट ट्रिब्यूनल (सैट) का दरवाजा खटखटाया है. सेबी ने अपने ऑर्डर में मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस पर 1 साल के लिए शेयर डेरिवेटिव कारोबार करने पर बैन लगाया है और एक कथित धोखाधड़ी कारोबार मामले में कंपनी पर करीब 1000 करोड़ रुपये का मुनाफा भी पेनल्टी के तौर पर लौटाने को कहा है.


सूत्रों ने बताया कि सैट अब रिलायंस की याचिका पर 3 मई को यह फैसला करेगा कि वह मामले को सुनवाई के लिये स्वीकार करेगा या नहीं. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इससे पहले इस मामले को निपटाने का सेबी से आग्रह किया था लेकिन सेबी ने इससे इनकार कर दिया था.



क्या है पूरा मामला?
सेबी ने 24 मार्च को मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और 12 दूसरी कंपनियों पर शेयरों में एफएंडओ (डेरिवेटिव) कारोबार करने पर 1 साल की रोक लगाई थी. इसके साथ ही आरआईएल को करीब 1000 करोड़ रुपये का पेनल्टी पेमेंट करने का भी ऑर्डर दिया था. ये बैन कथित तौर पर धोखाधड़ीपूर्ण कारोबार करने के 10 साल पुराने एक मामले में लगाया गया है.


क्या हैं आरोप?
सेबी ने रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों के आधार पर ये बैन लगाया है. सेबी ने आदेश में कहा कि आरपीएल के शेयरों में कैश मार्केट में पहले भारी बिक्री से मांग बढ़ाई गई और बाद में एफएंडओ मार्केट में हेजिंग के जरिए उन शेयरों को खरीद लिया गया. इससे आम निवेशकों को सीधा नुकसान हुआ और कंपनी के कुछ लोगों ने गलत तरीके से पैसा बनाया.


रिलायंस इंडस्ट्रीज को सेबी ने इस मामले में 447 करोड़ रुपये की मूल राशि और उस पर 29 नवंबर 2007 से अब तक 12 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करने को कहा जिस हिसाब से कंपनी को करीब 1000 करोड़ रुपये पेमेंट करने होंगे. यह मामला रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस पेट्रोलियम से जुड़ा है. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और 12 दूसरी यूनिट्स को डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से शेयर बाजारों में एक साल तक फ्यूचर एंड ऑप्शन कारोबार करने से रोक लगा दी गई है. मामला रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों में वायदा एवं विकल्प (एफएण्डओ) सेगमेंट में कथित तौर पर धोखाधड़ीपूर्ण कारोबार करने से जुड़ा है. रिलायंस पेट्रोलियम अब अस्तित्व में नहीं है.


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