Reliance Capital: रिलायंस कैपिटल (आरसीएपी) के कर्जदाता 26 अप्रैल को दूसरे दौर की नीलामी से पहले बोली लगाने वालों की चिंताएं दूर करने के लिए आज बैठक करेंगे. हिंदुजा समूह के टोरेंट इन्वेस्टमेंट और इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (आईआईएचएल) ने निर्धारित नीलामी और इसकी शर्तो पर कई आपत्तियां जाहिर की हैं.
टोरेंट इन्वेस्टमेंट और इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड की ये है आपत्ति
टोरेंट इन्वेस्टमेंट और आईआईएचएल दोनों बोलीदाताओं ने कथित तौर पर लेनदारों की समिति (सीओसी) को बताया है कि जब तक उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का निपटारा नहीं किया जाता है, तब तक नीलामी में भाग लेने की संभावना नहीं है. दोनों बोलीदाता अंतिम रूप चाहते हैं, और दूसरे दौर की नीलामी समाप्त होने के बाद मूल्य या नियमों और शर्तो पर कोई बातचीत नहीं होती है.
EPFO और LIC को ये हैं आपत्ति
दूसरी ओर, रिलायंस कैपिटल के दो सबसे बड़े कर्जदाता कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी एंप्लाई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (ईपीएफओ) और एलआईसी इस तरह का कोई भी उपक्रम देने के खिलाफ हैं.
सीओसी से एक अंडरटेकिंग चाहते हैं IIHL और टोरेंट इन्वेस्टमेंट
नीलामी के दूसरे दौर में अंतिम बोली मूल्य 13,000 करोड़ रुपये के परिसमापन मूल्य से कम होने की स्थिति में दोनों कर्जदाता आगे की बातचीत के लिए जगह बनाना चाहते हैं. ईपीएफओ और एलआईसी सामूहिक रूप से सीओसी में 30 फीसदी से अधिक मतदान अधिकार रखते हैं. आईआईएचएल ने कहा है कि नीलामी में भाग लेने वाले बोलीदाताओं को एक वचन देना चाहिए कि वे चैलेंज मैकेनिज्म प्रक्रिया के बाहर बोली नहीं देंगे. इसी तरह, बोली लगाने वाले भी सीओसी से एक अंडरटेकिंग चाहते हैं कि उनके द्वारा चैलेंज मैकेनिज्म के बाहर की किसी भी बोली पर विचार नहीं किया जाएगा.
टोरेंट ने हर दौर के बाद घोषित करने का अनुरोध किया है कि अगले दौर में कितने बोलीदाता भाग ले रहे हैं और उनकी बोली का प्राइस क्या है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई-पीठ ने आरकैप की समाधान प्रक्रिया को पूरा करने की समय सीमा तीन महीने बढ़ाकर 16 जुलाई कर दी है.
ये भी पढ़ें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा, क्रिप्टो ऐसेट्स के रेगुलेशन के लिए ग्लोबल सहमति जरूरी