नई दिल्लीः रिलायंस जियो में न्यूयॉर्क की प्राइवेट इक्विटी कंपनी जनरल अटलांटिक ने 6,598.38 करोड़ रुपये का निवेश करने का एलान किया है. इस डील के तहत जनरल अटलांटिक, जियो प्लेटफॉर्म्स में 1.34 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी. किसी भी एशियाई कंपनी में जनरल अटलांटिक का ये सबसे बड़ा निवेश है. रविवार की रात को ये जानकारी आई है.


रिलायंस जियो के चार बड़े सौदे
इस तरह पिछले 4 हफ्ते में रिलायंस जियो ने चार बड़ी मेगा डील की हैं और इनके जरिए 67,194.75 करोड़ रुपये का फंड हासिल करने का रास्ता खोल दिया है. बता दें कि इस क्रम में सबसे पहले फेसबुक ने रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स में 9.99 फीसदी हिस्सेदारी 43,574 करोड़ रुपये में लेने का एलान किया था.


फेसबुक डील के कुछ ही दिन बाद दुनिया के सबसे बड़े टेक इन्वेस्टर सिल्वरलेक ने 5,665.75 करोड़ रुपये में जियो की 1.15 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. इसके अलावा अमेरिका की विस्टा इक्विटी पार्टनर्स ने जियो प्लेटफॉर्म्स की 2.32 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का एलान किया था और इसके लिए 11,367 करोड़ रुपये के निवेश का एलान किया था.


कल रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक बयान जारी कर कहा कि इस नए निवेश के बाद रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स का इक्विटी मूल्य 4.91 लाख करोड़ रुपये और एंटरप्राइजेज वैल्यू करीब 5.16 लाख करोड़ रुपये हो गया है. अब तक के इन चार सौदों में जियो प्लेटफॉर्म्स की 14.8 फीसदी हिस्सेदारी बेची जा चुकी है. आने वाले समय में इस तरह के और भी सौदे होने की उम्मीद है. मुकेश अंबानी का बयान


रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने इस डील पर कहा कि बड़ी ग्लोबल इनवेस्टर जनरल अटलांटिक का वैल्यू पार्टनर के तौर पर स्वागत करते हुए मैं बेहद उत्साहित हूं. मैं जनरल अटलांटिक को पिछले कई सालों से जानता हूं और इसे भारत के विकास की संभावनाओं में काफी भरोसा है. जनरल अटलांटिक भारत में हमारे डिजिटल सोसायटी के विजन से सहमत हैं और इसके लिए जियो प्लेटफॉर्म्स में बड़ा निवेश कर रही है जिससे डिजिटल उद्देश्यों की पूर्ति में मदद मिलेगी.


रिलायंस इंडस्ट्रीज को कर्जमुक्त बनाने की दिशा में कदम
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पहले ही एलान किया हुआ है कि वो मार्च 2021 तक कर्जमुक्त कंपनी बनना चाहती है और हाल में रिलायंस जियो में किए गए नए निवेश इसी दिशा में उठाए गए बड़े कदम हैं. मुकेश अंबानी ने पिछले साल अगस्त में लक्ष्य तय किया था कि उन्हें मार्च 2021 तक रिलायंस इंडस्ट्रीज को कर्ज मुक्त कंपनी बनाना है. इन सौदों को देखते हुए अंबानी का लक्ष्य इसी साल दिसंबर तक पूरा हो जाने का अनुमान है.

मार्च तिमाही के अंत में रिलायंस के पास 1,75,259 करोड़ रुपये की नकदी थी और उसके ऊपर 3,36,294 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया था. इस तरह मार्च के आखिर में कंपनी पर कुल शुद्ध कर्ज भार 1,61,035 करोड़ रुपये था.

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