नई दिल्लीः अगर आप का भी कुछ टैक्स बकाया है तो आपके लिए अच्छी खबर है. केंद्र सरकार ने 100 रुपए तक के बकाया इनकम टैक्स वाले लोगों का टैक्स माफ कर दिया है. ऐसे करीब 18 लाख बकाएदार हैं, जिनके ऊपर 100 रुपए तक का आयकर बकाया है. ऐसा करने का फैसला केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड-सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज की तरफ से किया गया. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे हरी झंडी दे दी है. जेटली ने इस कदम को डेलीगेशन ऑफ पावर रूल्स, 1978 के तहत मंजूरी दी है, जिसमें वित्त मंत्री को कोई भी टैक्स बकाया माफ करने का अधिकार है. इस नियम के तहत मुख्य आयुक्तों को 25 लाख रुपये तक का बकाया माफ करने का अधिकार है.


100-5000 रुपए तक के बकाया टैक्स के करीब 22 लाख मामले सरकार के पास लंबित हैं. इनमें से सरकार ने 100 रुपए तक के इनकम टैक्स एरियर माफ कर दिए हैं यानी कुल 18 लाख बकाया टैक्स देनदारों को बड़ी राहत मिल गई है.


सरकार को होगा नुकसान पर फायदा भी
बकाया टैक्स के मामले में एक अहम कदम उठाते हुए हालांकि इस कदम से सरकार को करीब 7 करोड़ रुपये का नुकसान भी होगा लेकिन ऐसे फैसले के चलते अब सरकार के पास पेंडिंग 18 लाख मामले एक साथ निपट जाएंगे जो आयकर विभाग और सरकार के लिए बड़ी राहत की खबर है.


क्यों लिया सरकार ने ये कदम?
आप सोच रहे होंगें कि टैक्स चोरी करने वालों पर सख्ती बरतने की बात करने वाली सरकार ने अचानक टैक्स देनदारों को ऐसी राहत कैसे दे डाली तो जान लीजिए कि इस कदम से भी फायदा सरकार को ही होगा क्योंकि इस फैसले से सरकार का पैसा और समय बचेंगे. 18 लाख लोगों से 100 रुपये टैक्स वसूलने पर सरकार को उतना टैक्स नहीं आता जितना 18 लाख लोगों से बकाया वसूलने में आयकर विभाग का पैसा खर्च हो जाता. इसी तरह से 100-5000 रुपए तक के बकाया टैक्स के करीब 22 लाख मामले सरकार के पास लंबित हैं. सरकार ने 100 रुपए तक के इनकम टैक्स एरियर माफ कर दिए हैं


आयकर विभाग के लिए कैसे है ये फायदे का कदम?
जिन 18 लाख बकाएदारों का टैक्स माफ किया गया है, उनमें अधिकतर मामले 3 साल से भी पुराने हैं. इस फैसले से लंबित मामलों में कमी आएगी, जिसकी वजह से अधिकारी बड़े डिफॉल्टरों से टैक्स वसूलने पर ज्यादा फोकस कर सकेंगे. लिहाजा सरकार का ये कदम टैक्स अधिकारियों को बड़ी राहत देगा. इससे विभाग को एरियर वसूली के 10 फीसदी मामलों से मुक्ति मिल जाएगी. इससे करदाताओं की दिक्कतों का समाधान होगा साथ ही आईटी विभाग की बकायेदारों की लिस्ट भी छोटी होगी. कई आलोचक इसे टैक्स की चोरी को बढ़ावा देने वाला फैसला बता सकते हैं लेकिन इसका मसकद प्रशासनिक कार्यकुशलता में सुधार करना और टैक्स कलेक्शन की लागत कम करना है. इस कदम से आईटी के पास जमा लाखों मुकदमों में कमी आएगी और सरकार को बड़े डिफॉल्टरों से टैक्स वसूलने पर ज्यादा प्राथमिकता देने में मदद होगी.