नई दिल्लीः आखिरकार दस महीने के इंतजार के बाद नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में कटौती हो गयी. रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कमी करने का फैसला किया. नीतिगत ब्याज दर वो दर है जिस पर रिजर्व बैंक बहुत ही थोड़े समय के लिए बैंकों को कर्ज देता है.


उधर, रिजर्व बैंक ने एक बार फिर नीतिगत ब्याज दर में कटौती का पूरा-पूरा फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने को लेकर बैंकों के रुख पर असंतोष जताया. साथ ही केंद्रीय बैंक ने एक समिति बनाने का ऐलान किया है जो ये देखेगा कि नीतिगत ब्याज दर में कटौती का पूरा-पूरा फायदा ग्राहकों को कैसे मिले. साथ ही इस बात पर भी विचार करेगा कि ब्याज दर को पूरी तरह से बाजार से क्यों ना जोड़ दिया जाए.


दर में कटौती का फैसला एकमत से नहीं
दो दिनों तक चली मौद्रिक नीति समिति की बैठक के प्रस्ताव का ब्यौरा देने सामने आए रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि नीतिगत ब्याज दर में कटौती का फैसला एकमत से नहीं हुआ. पटेल समेत चार सदस्य जहां चौथाई फीसदी कटौती के पक्ष में थे, वहीं एक सदस्य आधे फीसदी की कटौती चाहते थे जबकि बाकी बचे एक किसी तरह के बदलाव के पक्ष में नहीं थे. चूंकि चौथाई फीसदी की कटौती पर बहुमत था, इसीलिए बीते साल अक्टूबर के बाद पहली बार नीतिगत ब्याज दर सवा छह फीसदी से घटाकर छह फीसदी करने का फैसला किया गया.


नीतिगत ब्याज दर में कटौती के बाद उम्मीद है कि तमाम बैंक अपने ब्याज दर में कटौती करेंगे. इससे घर कर्ज से लेकर विभिन्न तरह के कर्ज सस्ते हो सकते है. हालांकि इस फैसले का दूसरा पहलू ये है कि जमाओं पर ब्याज दर घटाने का रास्ता साफ होगा. यहां ये भी गौर करने के बात है कि बैंको के पास नकदी काफी ज्यादा पड़ी हुई है, लेकिन कर्ज देने की रफ्तार नहीं बढ़ रही. ऐसे में ज्यादा जमा जुटाना फायदेमंद नहीं. बहरहाल, जमा पर ब्याज घटना आम लोगों के लिए बुरी खबर है. वैसे भी भारतीय स्टेट बैंक ने एफडी के बाद अब बचत खाते पर भी ब्याज दर घटा दी है.


इस बीच, रिजर्व बैंक गवर्नर ने संकेत दिए कि महंगाई में और कमी आ सकती है. कुछ यही वजह है जहां साल के अंत तक महंगाई दर साढ़े तीन से चार फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था, वही अब ये दर चार फीसदी के करीब रह सकती है. ध्यान रहे कि खुदरा महंगाई दर वैसे भी दो फीसदी के नीचे आ चुकी है. सरकार और रिजर्व बैंक के बीच हुए समझौते के मुताबिक खुदरा महंगाई दर को दो से छह फीसदी के बीच रखने का लक्ष्य है. महंगाई दर में कमी की एक वजह जहां देश भर में जीएसटी का लागू होना है, वहीं मानसून की चाल भी बेहतर रही है. महंगाई दर घटी तो नीतिगत ब्याज दर में एक और कटौती का रास्ता बन सकता है.


कैसे मिले नीतिगत ब्याज दर में कटौती का पूरा-पूरा फायदा
रिजर्व बैंक गवर्नर ने एक बार फिर कहा कि बैंक नीतिगत ब्याज दर में कमी का अभी भी पूरा-पूरा फायदा नहीं पहुंचाए हैं. तकनीकी भाषा में इसे मॉनेटरी पॉलिसी ट्रांसमिशन कहते हैं. इसी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने एक समिति बनायी है. समिति फायदा नहीं पहुंचाए जाने का मुद्दा तो देखेगी ही, साथ ही इस बात पर भी विचार करेगी कि मौजूदा ग्राहको को भी फायदा क्यों नहीं मिल पाता. समिति इस बात पर भी विचार करेगी कि क्या ब्याज दर को पूरी तरह से बाजार के हिसाब से चलने दिया जाए. दूसरे शब्दों में कहें तो आगे चलकर बांड मार्केट के ब्याज दर के हिसाब से कर्ज पर ब्याज दरें तय होगी. समिति अपनी रिपोर्ट अगले कुछ महीनों में दे देगी.



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