शहरी सहकारी बैंकों के एसएएफ में रिजर्व बैंक ने किए ये बड़े बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में शहरी सहकारी बैंकों के निगरानी नियमों में कुछ बदलाव किए हैं. जानें, इनके बारे में.
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 6 जनवरी यानि बीते सोमवार को शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए निगरानी नियमों यानि निरीक्षण कार्रवाई रूपरेखा (एसएएफ) में कुछ बदलाव किए हैं. ऐसा इसीलिए किया गया है जिससे सहकारी बैंक वित्तीय संकट के समाधान तेजी से कर पाएं.
आपको बता दें, पंजाब एडं महाराष्ट्र को - ऑपरेटिव बैंक में हुए धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद ये अहम कदम उठाए गए हैं. धोखाधड़ी के कारण बैंक के तकरीबन नौ लाख से अधिक खाताधारकों को परेशानी का सामना करना पड़ा था.
भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि पहले के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए शहरी सहकारी बैंकों में सुधार लाने के लिए निगरानी नियमों को तर्कसंगत बनाने का फैसला किया गया है. ऐसे में संशोधन के बाद भी शहरी सहकारी बैंकों की कुल संपत्ति और मुनाफा, ऐसेट की गुणवत्ता पर निगरानी रखना जारी रखेगा.
संशोधित नियमों के तहत यदि शहरी सहकारी बैंक का नेट एनपीए उसके नेट लोन के छह फीसदी से ज्यादा हो गया है तो बैंक को सुपरवाइज़री एक्शन सिस्टम के तहत लाया जा सकता है. इसके अलावा, कुछ कंडीशंस में यदि संपत्ति फंसी हुई है तो रिजर्व बैंक इनकी कर्ज देने की क्षमता में कटौती कर सकता है. और इसके साथ अन्य सुरक्षा उपाय भी किए जा सकेंगे.
इतना ही नहीं, यदि कोई भी शहरी सहकारी बैंक लगातार दो सालों तक वित्तीय साल में घाटे में रहता है या उसके आय-व्यय खाते में संचित घाटा होने की स्थिति में भी एसएएफ व्यवस्था के तहत लाया जा सकता है.
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