भारतीय रिजर्व बैंक ने चार बैंकों पर मॉनेटरी जुर्माना लगाया है. ये चारों सहकारी बैंक हैं, जिसमें एक बिहार का है तो बाकी के तीन महाराष्ट्र के हैं. यह जुर्माना नियमों के उल्लंघन को लेकर लगाया गया है. भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि इन बैंकों पर नियमों की अनदेखी करने के कारण लाखों रुपये का जुर्माना लगाया गया है. क्या आपका भी इन बैंकों में अकाउंट है? अगर है तो आइए जानते हैं आप पर क्या असर होगा.
आरबीआई ने इन चार पर लगाया जुर्माना
भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि जिन सहकारी बैंकों पर जुर्माना लगाया गया है, वह तापिंदु अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, इस्लामपुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, महाबलेश्वर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और मंगल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड बैंक हैं.
बिहार के बैंक पर कितना जुर्माना
केंद्रीय बैंक ने पटना के सहकारी बैंक तापिंदु अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर एक लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया है. पटना के बैंक पर यह जुर्माना 'एक्सपोजर नॉर्म्स और वैधानिक / अन्य प्रतिबंध - यूसीबी' पर आरबीआई की ओर से जारी निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए लगाया गया है. बैंक सकल स्तर पर विवेकपूर्ण अंतर-बैंक एक्सपोजर मानदंडों पर आरबीआई के निर्देशों का पालन करने में विफल रहा था.
इस बैंक पर सबसे ज्यादा जुर्माना
सबसे ज्यादा पेनल्टी इस्लामपुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, महाराष्ट्र पर 2 लाख रुपये लगाया गया है. यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के कुछ प्रावधानों और 'भारतीय रिजर्व बैंक केवाईसी दिशानिर्देश, 2016 के कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने के लिए लगाया गया है. बैंक ने जमा खातों के रखरखाव का भी उल्लंघन किया था. इसके अलावा, बैंक ने डिपॉजिटर एजुकेशन और जागरूकता फंड में भी ट्रांसफर नहीं किया था. इसके अलावा, बैंक ने निष्क्रिय खातों की भी समीक्षा नहीं की थी.
इनपर भी लगा जुर्माना
भारतीय रिजर्व बैंक ने इसी तरह, महाबलेश्वर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, महाराष्ट्र पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम), पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे (एसएएफ) के तहत निर्देशों के उल्लंघन के लिए 2 लाख का जुर्माना, मंगल सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
ग्राहकों पर क्या होगा असर
भारतीय रिजर्व बैंक के इस जुर्माने से ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा, बल्कि यह जुर्माना ग्राहकों के अकाउंट की सुरक्षा और नियमों की अनदेखी के कारण लगाया गया है. यह जुर्माना बैंक को ही देना होगा, जो ये किसी ग्राहक से वसूल नहीं सकते हैं. रिज़र्व बैंक की कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित थी और बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर फैसला देने का इरादा नहीं था.
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