RBI ने नीतिगत रणनीति और रुझान के बीच फर्क रखाः SBI Research Report
SBI Research Report: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने लगातार दसवीं बार नीतिगत दर तथा उदार रुख बराबर रख सबको चौंकाने के साथ ही नीतिगत रुझान एवं नीतिगत रणनीति के बीच साफ फर्क भी रखा है.
SBI Research Report: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने लगातार दसवीं बार नीतिगत दर तथा उदार रुख बराबर रख सबको चौंकाने के साथ ही नीतिगत रुझान एवं नीतिगत रणनीति के बीच साफ फर्क भी रखा है. एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट (SBI Research Report) में यह कहा गया है. शुक्रवार का जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने के बाद बॉन्ड प्रतिफल बृहस्पतिवार को सात आधार अंक (0.07 फीसदी) गिरकर 6.73 फीसदी पर आ गया.
आरबीआई (Reserve Bank of India) की घोषणा के फौरन बाद तो इसमें 0.1 फीसदी की गिरावट आ गई थी लेकिन बाद में स्थिति थोड़ी सुधर गई. इसके उलट, बजट पेश किए जाने के दिन 7.5 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की घोषणा के बाद बॉन्ड प्रतिफल बढ़कर 6.88 फीसदी पर पहुंच गया था.
आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7.8 फीसदी और मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है. इसके साथ ही उसने अगले वित्त वर्ष में थोक मूल्य सूचकांक करीब 2.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.
एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष को लगता है कि 10 वर्षीय बॉन्ड के प्रतिफल में अभी और गिरावट आएगी और यह 6.55-6.6 प्रतिशत के स्तर पर जाकर स्थिर होगा. उन्होंने कहा कि भले ही आरबीआई के नीतिगत वक्तव्य से बाजार अचंभित हुआ लेकिन केंद्रीय बैंक शायद बाजार की उम्मीदों से आगे रहा है.
इसकी वजह से वित्त वर्ष 2022-23 में आरबीआई की नीतिगत रणनीति एवं रुझान अलग-अलग रह सकते हैं. उन्होंने इसे सही मायने में एक गैर-परंपरागत मौद्रिक नीति बताई. घोष ने कहा कि आरबीआई ने रणनीति एवं रुझान के बीच फर्क को साफ करने के साथ ही यह भी जता दिया है कि दोनों एक साथ बने रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि ये दोनों ही एक दूसरे के पूरक के तौर पर काम करते हैं.