RBI Repo Rate Cut: जुलाई के बाद अगस्त 2024 में भी खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Data) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के टारगेट 4 फीसदी के नीचे रही है. 12 सितंबर, 2024 को अगस्त महीने के लिए रिटेल इंफ्लेशन का डेटा जारी किया गया जिसके मुताबिक जुलाई के 3.54 फीसदी के मुकाबले महंगाई दर मामूली बढ़ोतरी के साथ बढ़कर 3.65 फीसदी रही है. महंगाई दर में बढ़ोतरी की बड़ी वजह खाद्य महंगाई दर (Food Inflation Rate)  में उछाल है जो जुलाई के 5.42 फीसदी से बढ़कर 5.66 फीसदी पर जा पहुंची है. लगातार दो महीने तक महंगाई दर के 4 फीसदी के नीचे बने रहने के बाद आरबीआई की तरफ से मॉनिटरी पॉलिसी में नरमी की उम्मीद की जा रही है.

  


महंगाई कम, कच्चा तेल भी सस्ता


आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (RBI MPC) की बैठक अगले महीने यानि अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में 7 से 9 अक्टूबर तक होगी. 9 अक्टूबर को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास एमपीसी की मीटिंग के बाद लिए गए फैसलों का एलान करेंगे. लगातार दो महीने तक खुदरा महंगाई दर के 4 फीसदी के नीचे बने रहने के बाद इस बात के कयास लगाये जा रहे कि क्या रेपो रेट में कटौती कर आरबीआई गवर्नर महंगी ईएमआई के बोझ से राहत देंगे? आरबीआई के लिए राहत की बात ये है कि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल (Crude Oil) के दाम भी दिसंबर 2021 के बाद सबसे निचले लेवल 70 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़क चुका है.   


CPI महंगाई को लेकर बेहतर आउटलुक


केयरएज रेटिंग्स (CareEdge Ratings) की चीफ इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा के मुताबिक, कच्चे तेल (Crude Oil) और इंडस्ट्रियल मेटल (Industrial Metals) कीमतों में कमी से सीपीआई महंगाई को लेकर आउटलुक बेहतर नजर आ रहा है. ब्रेंट क्रूड प्राइसेज 70 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ चुका है जो अगस्त के आखिरी हफ्ते में 80 डॉलर प्रति बैरल था. इंडस्ट्रियल मेटल कीमतें तीन महीने में 11 फीसदी कम हुई है. हालांकि बेस इफेक्ट सितंबर महीने में पक्ष में नहीं होगा. उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई दर औसतन 4.8 फीसदी रह सकता है. अगर खाद्य महंगाई में कमी आई तो आरबीआई मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ब्याज दरें घटा सकता है. 


इस तिमाही में सस्ती होगी ईएमआई!


प्रभुदास लीलाधर कैपिटल, इंस्ट्रीट्यूशल इक्विटीज के अर्थशास्त्री अर्श मोगरे के मुताबिक, सीपीआई इंफ्लेशन अब नियंत्रण में है. लेकिन अनुमान से ज्यादा खाद्य महंगाई इस ओर इशारा कर रहा है कि आरबीआई की महंगाई से निपटने की रणनीति को चुनौती का सामना करना होगा. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, कोर इंफ्लेशन के स्थिर रहने के चलते सतर्कता के साथ उम्मीद की किरण नजर आ रही है. इन सभी बातों के साथ ग्रोथ और महंगाई के मद्देनजर सितंबर में फेड के रेट कट करने के बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही से पहले ब्याज दरों में कटौती की संभावना नहीं दिखती है. 


खुदरा महंगाई दर में कमी ने बढ़ाई उम्मीद


दरअसल रूस यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद सप्लाई में आई दिक्कतों के चलते वैश्विक स्तर पर कमोडिटी और खाद्य वस्तुओं की कीमतें आसमान पर जा पहुंची. तब भारत में भी महंगाई 8 फीसदी के करीब चली गई. मई 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.8 फीसदी पर आ गई जिसके बाद सस्ते कर्ज का दौर खत्म हो गया. आरबीआई ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए छह आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़कर 6.50 फीसदी कर दिया जिसके चलते लोगों की ईएमआई महंगी हो गई. तो हों लोन से लेकर कार लोन एजुकेशन लोन महंगा हो गया. लेकिन खुदरा महंगाई दर में कमी के बाद लोग महंगे कर्ज से राहत उम्मीद कर रहे हैं. 


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