India Inflation Data: महंगाई दर में उछाल का असर, जानकारों ने बता दिया-आरबीआई सस्ता नहीं करेगा कर्ज
EMI Calculator: महंगी ईएमआई से परेशान लोगों को उम्मीद थी कि दिसंबर में उनकी ईएमआई सस्ती होगी. लेकिन महंगाई दर में उछाल के बाद इसकी संभावना बेहद कम है.
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India Inflation Data: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने 9 अक्टूबर 2024 को मॉनिटरी कमिटी की मीटिंग (Monetary Policy Committee) के बाद क्रेडिट पॉलिसी (Credit Policy) का एलान करते हुए रेपो रेट (Repo Rate) को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा था. लेकिन कमिटी ने अपने रूख को न्यूट्रल कर दिया जिससे इस बात के संकेत मिले कि दिसंबर 2024 में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की जो बैठक होगी उसमें आरबीआई अपने पॉलिसी रेट को घटा सकता है. लेकिन 14 अक्टूबर 2024 को खुदरा महंगाई दर ( Retail Inflation Rate) के जो आंकड़े घोषित हुए हैं उसके बाद दिसंबर महीने में रेपो रेट में आरबीआई कोई कमी करेगा इस बात की संभावना बेहद कम है क्योंकि सितंबर महीने में रिटेल इंफ्लेशन आरबीआई के टोलरेंस बैंड 4 फीसदी से कहीं ऊपर 5.50 फीसदी पर जा पहुंची है.
सब्जियों की महंगाई ने बढ़ाई चिंता
खुदरा महंगाई दर में उछाल की बड़ी वजह है खाद्य महंगाई दर जो सितंबर महीने में 9.24 फीसदी पर जा पहुंची है जो अगस्त में 5.66 फीसदी रही थी. सितंबर में सब्जियों की महंगाई दर 35.99 फीसदी रही है जो अगस्त में 10.71 फीसदी रही थी. होलसेल महंगाई दर के आंकड़े भी 14 अक्टूबर को घोषित हुए उसके मुताबिक डब्ल्यूपीआई फूड इंडेक्स सितंबर 2024 में 9.47 फीसदी पर जा पहुंची है जो अगस्त में 3.26 फीसदी रही थी. होलसेल महंगाई दर के डेटा के मुताबिक सब्जियों की महंगाई दर सितंबर में जहां 48.73 फीसदी रही है. आलू की महंगाई दर 78.13 फीसदी, प्याज की 78.82 फीसदी रही है. इन आंकड़ों से साफ है कि खाद्य और सब्जियों की महंगाई से जल्द राहत मिलेगी इस बात की संभावना बेहद कम है.
सस्ते कर्ज की उम्मीदों पर फिरा पानी
जानकार भी मानते हैं कि खुदरा महंगाई दर के जो आंकड़े सामने आए हैं उसका मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के ब्याज दरों में कमी करने के निर्णय पर असर पड़ सकता है. मिलवुड केन इंटरनेशनल (Millwood Kane International) के फाउंडर और सीईओ निश भट्ट के मुताबिक खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी खाद्य महंगाई दर में उछाल के चलते आई है. देश के कई इलाकों में असामान्य मानसून से फसलों को नुकसान हुआ है जो अक्टूबर में भी जारी रह सकता है क्योंकि मानसून की वापसी देरी से हो रही है. कोर इंफ्लेशन (Core Inflation) भी 3.5 फीसदी रहा है जो उम्मीद से ज्यादा है. ऐसे में एमपीसी के ब्याज दरों पर लिए जाने वाले निर्णय पर रिटेल इंफ्लेशन डेटा का असर देखने को मिल सकता है. जब तक महंगाई दर में कमी का ट्रेंड नजर नहीं आता है ब्याज दरों में कटौती की संभावना बेहद कम है.
आरबीआई जल्दबाजी में नहीं लेगा फैसला
नाईट फ्रैंक इंडिया के नेशनल डायरेक्टर रिसर्च विवेक राठी कहते हैं, खुदरा महंगाई दर में उछाल हाउसहोल्ड इंफ्लेशन में बढ़ोतरी की उम्मीदों के मुताबिक है. उन्होंने कहा, मौजूदा समय में भारत में महंगाई दर का जो पैटर्न है वो ग्लोबल ट्रेंड से अलग है जहां महंगाई में कमी के चलते वहां की सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कटौती कर रही है. पर भारत में महंगाई के जो हालात हैं उसे देखते हुए आरबीआई जल्दबाजी में ब्याज दरों में कटौती करेगा इसकी संभावना बेहद कम है.
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