ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई की मार में धीरे-धीरे कमी आने लगी है. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि जुलाई महीने के दौरान खेतिहर मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई की दर में एक महीने की तुलना में कमी आई है.
7-7 फीसदी के स्तर से नीचे आई दर
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने गुरुवार को इससे जुड़े आंकड़ों की जानकारी दी. मंत्रालय ने बताया कि जुलाई महीने के दौरान फार्म वर्कर्स और रूरल लेबरर्स को खुदरा महंगाई से थोड़ी राहत मिली है. एक महीने पहले की तुलना में जुलाई महीने के दौरान फार्म वर्कर्स के लिए खुदरा महंगाई की दर 7.02 फीसदी से कम होकर 6.17 फीसदी पर आ गई. इसी तरह रूरल लेबरर्स के लिए महंगाई दर 7.04 फीसदी से कम होकर 6.20 फीसदी पर आ गई.
साल भर पहले इतनी ज्यादा थी महंगाई
इससे पता चलता है कि जुलाई महीने के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के कामगारों के लिए खुदरा महंगाई की दर कम होकर 7 फीसदी से नीचे आ गई है. जून महीने में फार्म वर्कर्स और रूरल लेबरर्स दोनों के लिए खुदरा महंगाई की दर 7-7 फीसदी से ज्यादा थी. साल भर पहले यानी जुलाई 2023 में तो फार्म वर्कर्स के लिए खुदरा महंगाई दर 7.43 फीसदी और रूरल लेबरर्स के लिए 7.26 फीसदी पर थी.
खाने-पीने की चीजों की महंगाई से परेशानी
महंगाई के मोर्चे पर खाने-पीने की चीजों की महंगाई यानी फूड इंफ्लेशन अभी भी चिंता बढ़ा रही है. आंकड़ों के अनुसार, जुलाई महीने में कम होने के बाद भी खाद्य महंगाई की दर 5 फीसदी से ऊपर 5.42 फीसदी पर रही. हालांकि खाद्य महंगाई जुलाई में साल भर से ज्यादा अंतराल में सबसे निचले स्तर पर रही. उससे पहले जून में खाद्य महंगाई का निचला स्तर देखा गया था, जब उसकी दर 4.55 फीसदी रही थी. ओवरऑल खुदरा महंगाई की दर जुलाई में 59 महीने के निचले स्तर 3.54 फीसदी पर रही.
इन कारणों से नहीं मिल रही ज्यादा राहत
खाद्य महंगाई की दर जून महीने में 9.36 फीसदी पर थी. उससे पहले खाने-पीने की चीजों की महंगाई की दर मई महीने में 8.69 फीसदी और अप्रैल महीने में 8.70 फीसदी थी. ऐसा कहा जा रहा है कि फार्म वर्कर्स और रूरल लेबरर्स के लिए महंगाई की दर को बढ़ाए रखने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार फूड इंफ्लेशन ही है. उसके अलावा कुछ योगदान ईंधन व बिजली की महंगाई का है.
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