खुदरा महंगाई दर घटी, औद्योगिक उत्पादन दर में बढ़ोतरी
सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी की महीने में खुदरा महंगाई दर 4.44 फीसदी रही, जबकि जनवरी के महीने में ये दर 5.07 फीसदी थी.
नई दिल्लीः अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक साथ दो अच्छी खबर है. खुदरा महंगाई दर जहां घट कर 4.4 फीसदी पर आ गयी है, वहीं औद्योगिक उत्पादन दर साढ़े सात फीसदी पर पहुंच गयी. बहरहाल, इन आंकड़ों की वजह से ब्याज दरों में किसी तरह की राहत की उम्मीद फिलहाल नही दिखती.
खुदरा महंगाई दर सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी की महीने में खुदरा महंगाई दर 4.44 फीसदी रही, जबकि जनवरी के महीने में ये दर 5.07 फीसदी थी. फिलहाल, परेशानी ये है कि खुदरा महंगाई दर की बढ़ोतरी की संभावनाएं बनी हुई है. यही वजह है कि नीतिगत ब्याज दर में फिलहाल कमी के आसार नहीं दिखते. रिजर्व बैंक गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति अगले महीने नीतिगत ब्याज दर की समीक्षा करेगी.
खुदरा महंगाई दर नीतिगत ब्याज दर की समीक्षा का प्रमुख आधार है. सरकार और रिजर्व बैंक के बीच हुए समझौते के मुताबिक, खुदरा महंगाई दर को 4 (+/-2) फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य है. दूसरे शब्दों में खुदरा महंगाई दर की निचली सीमा दो फीसदी और ऊपरी सीमा छह फीसदी होनी चाहिए, लेकिन चार फीसदी के ऊपर के स्तर से रिजर्व बैंक असहज हो जाता है. इसके ऊपर यदि महंगाई दर बढ़ने की संभावना प्रबल हो तो रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दर कमी नहीं करने की वकालत करता है. वहीं अगर ये लगातार पांच फीसदी के ऊपर बना रहे या उसके आसपास रहे और अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां अनुकूल नहीं हो तो वो नीतिगत ब्याज दर बढ़ाने के भी संकेत दे सकता है.
जनवरी के मुकाबले फरवरी में खुदरा महंगाई दर के कम रहने की एक बड़ी वजह सब्जियों और फल के दाम में आशंका से कम बढ़ोतरी है. फरवरी में सब्जियों की खुदरा महंगाई दर 17.5 फीसदी रही, जबकि अंडे के मामले में ये साढ़े आठ फीसदी और दूध के मामले में करीब पौने चार फीसदी रही. जनवरी तक ये दर काफी ज्यादा थी जिसकी वजह से खुदरा महंगाई दर पांच फीसदी के ऊपर बनी हुई रही. फिलहाल, आगे खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी के ही आसार हैं.
औद्योगिक उत्पादन दर इस बीच, जनवरी के लिए औद्योगिक उत्पादन दर 7.5 फीसदी दर्ज की गयी जबकि दिसम्बर में ये दर 7.1 फीसदी थी. गौर करने की बात ये है कि 23 में से 16 औद्योगिक समूह में बढ़ोतरी की दर सकारात्मक रही. सबसे ज्यादा बढ़ोतरी जहां परिवहन उपकरण बनाने वाले उद्योग मे देखने को मिला, वहीं तंबाकू उत्पाद के मामले में भारी गिरावट दर्ज की गयी.
राहत की बात ये है मैन्युफैक्चरिंग यानि विनिर्माण क्षेत्र लगातार अच्छा प्रदर्शऩ कर रहा है. इसकी विकास दर जनवरी के 8.48 फीसदी के बजाए 8.7 फीसदी दर्ज की गयी. इस तरह की बढ़ोतरी का एक मतलब ये हुआ कि विनिर्माण क्षेत्र जीएसटी औऱ नोटबंदी के असर से ऊबरता हुआ दिख रहा है. साथ ही इसका ये भी मतलब हुआ कि रोजगार के ज्यादा से ज्यादा मौके बनेंगे.
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