आपने भी ऐसा देखा और सुना होगा कि खुदरा निवेशक पेनी स्टॉक और मल्टीबैगर स्टॉक को ज्यादा पसंद करते हैं. पेनी स्टॉक यानी कम भाव वाले शेयरों और मल्टीबैगर शेयरों के पीछे खुदरा निवेशकों के पागल होने की पुरानी धारणा रही है. हालांकि शेयर बाजार के आंकड़े अलग तस्वीर पेश करते हैं.
गूगल ट्रेंड्स के 13 साल के आंकड़े
आंकड़े बताते हैं कि पिछले 13 सालों के दौरान भारतीय खुदरा निवेशकों ने मल्टीबैगर शेयरों से ज्यादा दिलचस्पी ऑप्शंस ट्रेडिंग में दिखाई है. डेरिवेटिव मार्केट के स्टॉक ऑप्शंस की पिछले कुछ सालों में जबरदस्त ग्रोथ हुई है. इस ग्रोथ में खुदरा निवेशकों का बड़ा योगदान रहा है. साल 2009 से 2023 तक के गूगल ट्रेंड्स के आंकड़ों के हवाले से मिंट ने यह रिपोर्ट दी है.
इन कारणों से बढ़ी दिलचस्पी
हालिया सालों में ऑनलाइन रिटेल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का तेजी से उभार हुआ है. इसे देखते हुए शेयर बाजारों ने ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट में कुछ बदलाव किए हैं, ताकि इन्हें आसानी से और तेजी से ट्रेड किया जा सके. उसके बाद डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग यानी फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेड में जबरदस्त उछाल आया है. अक्टूबर 2009 से दिसंबर 2019 के आंकड़े बताते हैं कि इन 10 सालों में रिटेल इन्वेस्टर्स ने मल्टीबैगर शेयरों से ज्यादा दिलचस्पी ऑप्शंस ट्रेडिंग में दिखाई है.
स्टॉक ऑप्शंस में इतनी दिलचस्पी
गूगल ट्रेंड्स के आंकड़ों के अनुसार, अभी स्टॉक ऑप्शंस में औसत दिलचस्पी का स्तर 75 फीसदी पर है. वहीं मल्टीबैगर शेयरों में खुदरा निवेशकों की दिलचस्पी का औसत 25 फीसदी है. यह हाल तब है, जब हाल-फिलहाल में औसत दिलचस्पी में कमी आई है. 2019 के बाद एक समय तो औसत 100 फीसदी पर पहुंच गया था.
बेहद जोखिम भरा है ये ट्रेड
डेरिवेटिव्स ट्रेड यानी फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग को काफी रिस्की माना जाता है. इस ट्रेडिंग में बहुत जोखिम होता है. इसमें निवेशकों को कम समय में मोटी कमाई करने का मौका तो मिलता है, लेकिन डूबने का खतरा उससे ज्यादा रहता है. एफएंडओ में अभी ज्यादातर खुदरा निवेशक पैसे गंवाते ही हैं. इसी कारण प्राधिकरणों और नियामकों ने खुदरा निवेशकों को ऑप्शंस ट्रेडिंग के खतरों से आगाह करने पर इनदिनों विशेष ध्यान दिया हुआ है.
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