Vegetable Prices: देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में आज से तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू हो गई है. देश के लिए केंद्रीय नीतिगत दरों और बैंकों के लिए ब्याज दरों को तय करने के लिए प्रत्येक दो महीने में आरबीआई ये मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग करता है. देश में महंगाई की स्थिति को देखते हुए ब्याज दरों को बढ़ाने या घटाने का फैसला लिया जाता है.
8 दिसंबर को आने वाली है क्रेडिट पॉलिसी
8 दिसंबर शुक्रवार को आने वाली क्रेडिट पॉलिसी के लिए ज्यादातर वित्तीय एक्सपर्ट अनुमान दे रहे हैं कि आरबीआई दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा और यथास्थिति बरकरार रखेगा. चूंकि देश में पिछले महीने आए रिटेल और थोक महंगाई दर के आंकड़े ठीकठाक रहे जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास को दरें बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है
देश के रिटेल बाजार में सब्जियों की बढ़ती कीमतें आम आदमी की जेब पर बड़ा निगेटिव असर डाल रही हैं. कोलकाता का उदारहण लें तो रिटेल बाजार में टमाटर 60 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट पर बिक रहा है. सर्दियों की पसंदीदा सब्जी मटर की कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है. रिटेल बाजारों में प्याज का ऐवरेज रेट 60 रुपये प्रति किलोग्राम पर है.
पश्चिम बंगाल सरकार की टास्क फोर्स ने बताई सच्चाई
पश्चिम बंगाल सरकार की टास्क फोर्स के सदस्यों के अनुमान के मुताबिक लगभग सभी सब्जियों की औसत कीमतें 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक ज्यादा बनी हुई हैं. इसके मेंबर्स का अनुमान है कि टमाटर, मटर और प्याज की कीमतें दुर्गा पूजा और काली पूजा के त्योहारी सीजन की तुलना में थोड़ी कम हुई हैं, लेकिन मौजूदा दाम अभी भी सामान्य दरों से ज्यादा हैं. यही बात लहसुन और अदरक के मामले में भी हैं. रिटेल बाजार में जरूरी खाद्य वस्तुओं के दाम को काबू में रखने वाली संस्था टास्क फोर्स ने ये जानकारी दी है.
क्या हैं कोलकाता में सब्जियों के भाव
कोलकाता में लहसुन का भाव 300 रुपये प्रति किलोग्राम है जबकि अदरक की कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा है. आम जनता और सरकार दोनों के लिए अदरक और लहसुन की आसमान छूती कीमतें वाकई चिंता की बात हो चुकी है क्योंकि ये बंगाली खाने की डिश के लिए जरूरी चीजों में से हैं.
क्यों बढ़े यहां सब्जियों के दाम
टास्क फोर्स के सदस्यों का मानना है कि आम तौर पर कोलकाता के रिटेल बाजारों में खाने-पीने की जरूरी चीजों की कीमतें अभी भी ऊंची चल रही हैं. वजह ये है कि इनका राज्य में पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं होता है. टास्क फोर्स के एक सदस्य ने कहा, "चूंकि इन उत्पादों के लिए दूसरे राज्यों से आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ता है, इसलिए जब भी आपूर्ति में कोई कमी होती है, इनकी कीमतें बढ़ जाती हैं."
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