Consumer Expenditure Survey: केंद्र सरकार 1 जुलाई से कंज्यूमर एक्सपेंडीचर सर्वे के लिए फील्डवर्क शुरू करेगी. ये नया सर्वे एक दशक के लंबे अंतराल के बाद गरीबी का अनुमान लगाने में मदद करेगा. एक जुलाई से होने वाले नए कंज्यूमर एक्सपेंडीचर सर्वे में कंजम्पशन बास्केट पर अधिक विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए एक परिवार के तीन दौरे जैसी खासियतें शामिल की गई हैं.
कंजम्पशन बास्केट का किया गया विस्तार
कंज्यूमर एक्सपेंडीचर सर्वे के नए दौर में ही कंजम्पशन बास्केट का विस्तार किया गया है. इस कंजम्पशन बास्केट में उन वस्तुओं को शामिल किया गया है जिनमें हाल के दिनों में उच्च खपत प्रवृत्ति देखी गई है. साथ ही इसके अलावा, खाद्यान्न जैसे कल्याणकारी सब्सिडी पर इनपुट मांगने के लिए विस्तृत प्रश्नों को शामिल किया गया है. इसके अलावा 'विविध' या मिसलीनियस मदों की सबसे बड़ी कैटैगरी को उन वस्तुओं की खपत पर डेटा के विस्तृत संग्रह के लिए अलग किया गया है.
ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 1.2 लाख घरों को किया जाएगा शामिल
इस घटनाक्रम से वाकिफ लोगों ने कहा कि करीब 1700 जांचकर्ताओं के नए उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण में शामिल होने की संभावना है, जबकि पहले 800-900 जांचकर्ता थे. सर्वेक्षण में ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 1.2 लाख घरों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 84,000 घरों को शामिल किया जाएगा. कंज्म्पशन एक्सपेंडीचर पर डेटा इक्ट्ठा करने के लिए एक परिवार की तीन विजिट में दैनिक उपयोग की वस्तुओं, नियमित वस्तुओं और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स गुड्स के बारे में जानकारी प्राप्त करने की जरूरत होगी.
अगले साल अक्टूबर तक आएगा सर्वे का परिणाम
उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (सीईएस) आमतौर पर पंचवर्षीय (हर पांच साल) अंतराल पर आयोजित किया जाता है और अंतिम सर्वेक्षण 68वें दौर (जुलाई 2011 से जून 2012) में आयोजित किया गया था. हालांकि, सरकार ने "गुणवत्ता के मुद्दों" का हवाला देते हुए उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण के 2017-18 के परिणामों को रद्द कर दिया था. लीक हुए सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर आधारित अध्ययनों ने 2017-18 में गरीबी के स्तर में वृद्धि की ओर इशारा किया था. नया सर्वेक्षण अगले साल जून तक किया जाएगा और उसके बाद परिणाम अगले साल अक्टूबर तक आने की संभावना है.
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