नई दिल्लीः बजट के ऐन पहले सरकार के लिए वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के मोर्चे पर अच्छी खबर है. दो महीने की तेज गिरावट के बाद दिसम्बर में जीएसटी से कमाई बढ़ी है. दिसम्बर में सरकार को करीब 87 हजार करोड़ रुपये की कमाई होने का अनुमान है.
दिसंबर के आंकड़े
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कर चोरी के उपायों पर अमल की वजह से दिसम्बर के महीने मे जीएसटी से कमाई में कमी पर ब्रेक लगाना मुमकिन हो सका. यहां ये भी महत्वपूर्ण है कि दो सौ से भी ज्यादा सामान और सेवाओं पर जीएसटी की दर घटने के एक महीने के बाद सरकार की कमाई बढ़ी. अब सरकार को लगता है कि पहली फरवरी से जब ई वे बिल लागू होगा तो स्थिति बेहतर होगी और सरकार को ज्यादा कर हासिल हो सकेगा. ध्यान रहे कि अब तक तक 1 करोड़ से ज्यादा व्यापारियों-कारोबारियों ने जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन करा रखा है.
फिलहाल सरकार की परेशानी कंपोजिशन स्कीम को लेकर है. स्कीम के तहत डेढ़ करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वालों को 1 और 5 फीसदी (केवल रेस्त्रां) की दर से जीएसटी चुकाना होता है और उन्हे कच्चे माल पर चुकाए जीएसटी का फायदा यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलता. अब तक इस स्कीम के तहत कुल 17 लाख रिटर्न दाखिल किए गए और महज 307करोड़ रुपये का टैक्स आया. यानी औसतन 5 लाख रुपये. आशंका है कि यहां कारोबारी-व्यापारी टैक्स चोरी कर रहे हैं.
इसी को देखते हुए कंपोजिशन स्कीम के तहत रिवर्स चार्ज मैकानिज्म (आरसीएम) को शुरु किए जाने पर विचार किया जा रहा है. आरसीएम के तहत गैर पंजीकृत कारोबारी-व्यापारी अगर पंजीकृत व्यापारी से सामान खऱीदते हैं तो गैर पंजीकृत व्यापारियो की टैक्स देनदारी चुकाने की जिम्मेदारी पंजीकृत व्यापारी की होती है. सरकार का मानना है कि आरसीएम की बदौलत कारोबार पर पैनी नजर रखना संभव हो सकेगा औऱ कर चोरी रोकी जा सकेगी.
अब सरकार की नजर ऐसे व्यापारियों-कारोबारियों पर भी है जिन्होंने जीएसटी के तहत पंजीकरण तो करा रखा है, लेकिन रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं. ऐसे कारोबारियों, व्यापारियों पर कार्रवाई के आसार हैं.
क्या है जीएसटी
पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी पहली जुलाई से लागू किया गया. इसके तहत केंद्र और राज्यों के 17 तरह के अप्रत्यक्ष कर और 23 तरह के सेस को मिलाकर एक कर लागू किया गया है. हालांकि कर की दर एक नहीं है. अभी विभिन्न तरह के सामान और सेवाओं पर मुख्य रुप से 5, 12, 18 और 28 फीसदी की दर से कर लगाया जाता है जबकि सोने-चांदी जैसे बहुमूल्य धातुओं के लिए 3 फीसदी की विशेष दर है. साथ ही मोटर वाहनों और लग्जरी सामान पर 28 फीसदी के ऊपर सेस भी लगाया जाता है.
जीएसटी को मुख्य रुप से दो हिस्सों, सीजीएसटी (सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) और एसजीएसटी (स्टेट्स गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) में बांटा जाता है. दूसरी ओर दो राज्यों के बीच होने वाले व्यापार पर आईजीएसटी (इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) लगाया जाता है. लेकिन ध्यान रहे कि आईजीएसटी कोई अलग से कर नहीं है और जब आईजीएसटी लगता है, उस पर अलग से सीजीएसटी व एसजीएसटी नहीं लगाया जाता. एक और बात जीएसटी से हुई कमाई का आधा हिस्सा केंद्र और बाकी राज्यों को जाता है जबकि सेस से हुई कमाई के जरिए उन राज्यों के मुआवजा दिया जाता है, जहां जीएसटी लागू होन के बाद कमाई घट गयी है.