(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rice Export: चावल के निर्यात पर लगे बैन को जारी रख सकती है सरकार, जानिए क्या है बड़ी वजह
Rice Export Ban: भारतीय चावल की दुनियाभर में काफी मांग है, लेकिन चावल के निर्यात पर बैन चल रहा है. उम्मीद है कि सरकार इस बैन को आगे भी जारी रख सकती है.
Broken Rice Export Ban: चावल निर्यात (Rice Export) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है. भारत का दुनिया में चावल निर्यात के मामले में काफी बोलबाला रहा है. भारत दुनिया के सबसे बड़े चावल एक्सपोर्टर देश के रूप में जाना जाता है. यहां का चावल दुनियाभर के कई देशों में खाना पसंद किया जाता है. घरेलू आपूर्ति के लिए चावल निर्यात प्रतिबंधों को केंद्र की मोदी सरकार (Modi Govt) और बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है. जानिए इसके पीछे क्या कारण बताया जा रहा है.
टैक्स कटौती की योजना नहीं
रायटर्स के मुताबिक, भारत में टूटे चावल (Broken Rice Export) के निर्यात पर प्रतिबंध चल रहा है. जिसे हटाने और सफेद चावल (White Rice) के विदेशी शिपमेंट पर 20 फीसदी टैक्स में कोई कटौती नहीं होने वाली है. देश में अभी चावल निर्यात पर बैन जारी है. इस बैन के बाद भी पिछले साल के अंदर ब्रोकन राइस का निर्यात 3 गुना तक बढ़ गया है.
एशिया-अफ्रीका में बढ़े दाम
भारत में चावल निर्यात प्रतिबंध का असर दुनिया भर में देखने को मिल रहा है. वही दिल्ली के चावल खरीदारों को, विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में, पिछले कुछ हफ्तों में महंगे हो चुके चावल के लिए अधिक भुगतान देना पड़ रहा है.
कम बारिश ने बढ़ाई चिंता
देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों में औसत से कम मॉनसूनी बारिश हुई है. इसके कारण चावल के उत्पादन को लेकर सरकार काफी परेशान है. इस बार जो उत्पादन होगा, उसकी खपत देश में होनी है. मालूम हो कि, भारत ने सितंबर 2022 में टूटे चावल के विदेशी शिपमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया था, और कई अन्य ग्रेड के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क लगा रखा है. एक सरकारी अधिकारी का कहना है कि, 20 फीसदी निर्यात शुल्क के बावजूद चावल का निर्यात धीमा नहीं हुआ है, और इसलिए हम मानते हैं कि शुल्क को कम करने या समाप्त करने का कोई असर नहीं है.
ये है सबसे बड़ी वजह
अधिकारी का कहना है कि, देश में टूटे चावल के निर्यात को फिर से शुरू नहीं कर सकते हैं, क्योंकि चीन और अन्य देशो में इथेनॉल या पशु चारा बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में चावल का इस्तेमाल करते है. हम इसके बजाय अपने देश के घरेलू उद्योग को इसका उपभोग कराना पसंद करेंगे. साल 2021 में 11 लाख टन की खरीदारी के साथ चीन भारत के टूटे चावल का सबसे बड़ा खरीदार हुआ करता था. इस साल मानसून की बारिश प्रभावित होने की आशंकाओं के कारण भारत अपने चावल निर्यात प्रतिबंधों को भी बढ़ा सकता है. अधिकारी ने कहा कि, हम कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते. हमारे पास गेहूं का स्टॉक सीमित है, लेकिन चावल का पर्याप्त स्टॉक है, जिसका इस्तेमाल हम तब कर सकते हैं, जब कोई संकट आता है.
3 गुना बढ़ा चावल निर्यात
पिछले साल 2022 में भारत का चावल निर्यात 3.5 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 22.26 मिलियन टन पहुंच गया था. यह अगले 4 सबसे बड़े निर्यातक देश, थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका के संयुक्त शिपमेंट से अधिक रहा है.
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