Rice Prices: गेहूं के बाद चावल की रिटेल कीमतें भी उछलीं, करना पड़ रहा ज्यादा खर्च, जानें वजह
Rice Prices Up: मानसूनी बारिश में कमी के चलते झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, यूपी, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना जैसे राज्यों में धान का रकबा कम होने की सूचना है जो दाम बढ़ने का मुख्य कारण है.
Rice Prices Up: देश की जनता को महंगाई के झटके लगातार लग रहे हैं और अब चावल उनकी थाली का खर्च बढ़ा रहा है. सप्लाई संबंधी चिंताओं के कारण गेहूं के बाद, अब चावल की कीमतें बढ़ रही हैं. इसकी ऑल इंडिया ऐवरेज रिटेल कीमत पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 6.31 फीसदी की तेजी के साथ 37.7 रुपये प्रति किलो हो गई है. एक सरकारी आंकड़े से यह जानकारी मिली है.
क्या है चावल की कीमतें बढ़ने का कारण
चावल की रिटेल कीमत में बढ़ोतरी का रुख, चालू खरीफ (गर्मी) सत्र में पिछले सप्ताह तक धान बुवाई 8.25 फीसदी कम रहने के मद्देनजर देश के उत्पादन में संभावित गिरावट की खबर के कारण है. विशेषज्ञों ने कहा कि धान बुवाई के रकबे में मौजूदा कमी पर गौर करते हुए देश का कुल चावल उत्पादन खरीफ सत्र 2022-23 (जुलाई-जून) के लिए 11.2 करोड़ टन के निर्धारित लक्ष्य से कम रहने की संभावना है.
धान के रकबे में आई गिरावट
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, धान को इस खरीफ सत्र के 18 अगस्त तक 343.70 लाख हेक्टेयर रकबे में बोया गया है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 374.63 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई की गई थी. मानसूनी वर्षा में कमी के कारण झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कुछ अन्य राज्यों में खेती का रकबा कम होने की सूचना दी गई है. धान मुख्य खरीफ फसल है, जिसकी बुवाई जून में दक्षिण -पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है. देश के कुल चावल का उत्पादन का 80 फीसदी खरीफ मौसम से प्राप्त होता है.
गेहूं की कीमतें चावल की तुलना में कम
उन्होंने कहा, ‘‘फिर भी, चावल की रिटेल कीमतों में वृद्धि गेहूं जितना नहीं है क्योंकि केंद्र के पास 396 लाख टन का एक विशाल भंडार पड़ा है और कीमतों में तेज वृद्धि के समय स्थितियों में हस्तक्षेप के लिए इस भंडार का उपयोग कर सकता है."
कितनी बढ़ गई हैं गेहूं की कीमतें
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक गेहूं की अखिल भारतीय औसत रिटेल कीमत 22 अगस्त को करीब 22 फीसदी बढ़कर 31.04 रुपये प्रति किलो हो गई जो पिछले साल की समान अवधि में 25.41 रुपये प्रति किलो थी. आंकड़ों से पता चलता है कि गेहूं आटा का औसत रिटेल मूल्य 17 फीसदी से अधिक बढ़कर 35.17 रुपये प्रति किलो हो गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 30.04 रुपये प्रति किलो था.
गेहूं के मामले में लू चलने के कारण उत्पादन में गिरावट आई
गेहूं के मामले में, फसल वर्ष 2021-22 में घरेलू उत्पादन में लगभग तीन फीसदी की कमी होने के कारण थोक और रिटेल बाजार दोनों में इसकी कीमतें दबाव में आ गई हैं. लू चलने के कारण गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई है, जिसके परिणामस्वरूप पंजाब और हरियाणा जैसे उत्तरी राज्यों में अनाज सिकुड़ गये थे. इस बीच, उद्योग निकाय, रोलर आटा मिलर्स फेडरेशन ने पिछले कुछ दिनों के दौरान गेहूं की अनुपलब्धता और कीमत में भारी वृद्धि के बारे में चिंता जताई है.
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