कोरोना वैक्सीन के मोर्चे पर अच्छी खबरों ने अमीर भारतीयों का रुझान बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनियों की ओर बढ़ा दिया है. जिस तरह दुनिया भर के अमीर, फार्मा कंपनियों में पैसा लगा रहे हैं ठीक उसी तरह भारतीय अमीर भी इस खेल में शामिल हो गए हैं. हाल के दिनों में कई एचएनआई औैर यहां तक कि रिटेल निवेशकों ने भी मॉडर्ना, फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन, एस्ट्रा जेनेका, ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन, एबॉट और सनोफी के शेयरों में निवेश किया है. ये सारे शेयर लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम यानी LRS के जरिये खरीदे जा रहे हैं. LRS के जरिये भारतीय नागरिक विदेशी शेयरों में ढाई लाख डॉलर तक निवेश कर सकते हैं. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, एक्सिस सिक्योरिटीज, कोटक सिक्योरिटीज, एचडीएफसी सिक्योरिटीज अपने क्लाइंट्स को LRS के जरिये निवेश करने की सुविधा दे रहे हैं.


2014-15 से विदेशी शेयरों में निवेश के ट्रेंड ने जोर पकड़ा


भारत के निवेशकों की ओर से एसेट डाइवर्सिफिकेशन और हेजिंग की इस स्ट्रेटजी की शुरुआत 2014-15 में हुई थी. लेकिन कोरोना संक्रमण के दौर में इस ट्रेंड ने और जोर पकड़ा है. फार्मा कंपनियों के शेयरों में निवेश इसी ट्रेंड का हिस्सा है. घरेलू और इंटरनेशनल मार्केट में फाइजर, एस्ट्रा जेनेका, एबॉट और सनोफी के शेयरों में निवेश कर रहे हैं.


मॉडर्ना और फाइजर के शेयरों में तगड़ी रैली


निवेशकों के तगड़े रुझान के बाद मॉर्डना और फाइजर के शेयरों में बड़ी रैली दर्ज की गई. मॉडर्ना ने कहा है कि उसकी वैक्सीन का ट्रायल 94 फीसदी सफल रहा है. वहीं फाइजर ने 91 फीसदी सफलता का दावा किया है. न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में मॉडर्ना के शेयरों की कीमत 33 फीसदी बढ़ गई है वहीं जॉनसन एंड जॉनसन, एस्ट्रा जेनेका और ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन के शेयरों की कीमतों में क्रमश: 8 से 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अहमदाबाद स्थित कैडिला फार्मा के सीईओ राजीव मोदी के पास नोवावैक्स के चार लाख शेयर हैं, जिनकी कुल कीमत 36 लाख डॉलर है. मोदी नोवावैक्स के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हैं.


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