Right to Repair: सरकार जल्द लाने वाली है राइट दू रिपेयर कानून! कंपनियां गैजेट्स को रिपेयर करने में नहीं कर सकेगी आनाकानी
Right to Repair Benefits: कई बार कंपनियां नई गैजेट्स बनाने लगती हैं और पुराने का पार्ट मार्केट में मिलना बंद हो जाता है. ऐसे में ग्राहक को रिपेयर चार्ज देने के बजाय नए सामान का चार्ज देना पड़ता है.
Right to Repair in India: केंद्र की मोदी सरकार देश की उपभोक्ताओं के लिए जल्द ही 'राइट टू रिपेयर' (Right to Repair) कानून लाने की तैयारी कर रही है. नाम सुनकर ही मन में सवाल उठता है कि यह 'राइट टू रिपेयर' कानून क्या है. इस कानून से कस्टमर्स को किस तरह का फायदा मिल सकता है. इसके साथ ही कंपनियों पर इस कानून का क्या असर पड़ेगा. कस्टमर्स की सुविधा के लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 'राइट टू रिपेयर' कानून पर काम करना शुरू कर दी है. जैसा की इसके नाम से ही पता चल रहा है कि यह कस्टमर्स को एक अपने खराब सामान को बनाने में मदद करेगा.
क्या है 'राइट टू रिपेयर'?
उदाहरण के तौर पर अगर किसी व्यक्ति का मोबाइल (Mobile Repair), लैपटॉप (Laptop Repair), टैब (Tab Repair) आदि चीजें खराब हो जाती है तो ऐसी स्थिति में वह इसे ठीक करने के लिए वह किसी सर्विस सेंटर में ले जाता है तो 'राइट टू रिपेयर' के तहत उस सर्विस सेंटर को उस गैजेट को ठीक करके देना होगा. वह उसे यह कहकर ठीक करने मना नहीं कर सकता कि वह पार्ट पुराना हो गया है और उसे अब रिपेयर नहीं किया जा सकता है. ऐसे में कंपनी ग्राहक को नया सामान खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है. 'राइट टू रिपेयर' कानून के तहत कंपनी ग्राहकों के पुराने सामान को रिपेयर करने से मना नहीं कर सकती है.
ग्राहकों को मिलेगा फायदा
कई बार कंपनियां नई गैजेट्स बनाने लगती हैं और पुराने का पार्ट मार्केट में मिलना बंद हो जाता है. ऐसे में ग्राहक को रिपेयर चार्ज देने के बजाय नए सामान का चार्ज देना पड़ता है. ऐसे में कस्टमर पर इस कारण वित्तीय बोझ बढ़ता है. इस नए कानून के बाद अब कंपनियों को किसी सामान के नए पार्ट्स के साथ-साथ पुराने पार्ट्स भी रखने होगा. इसके साथ ही यह कंपनी की जिम्मेदारी होगी वह पुराने पार्ट्स को बदलकर आपके खराब सामान को ठीक करें. इसे ग्राहकों को बिना कारण नए सामान को खरीदने से छुटकारा मिलेगा और वह मजबूरी में नए प्रोडक्ट्स खरीदने के लिए मजबूर नहीं होगा.
सरकार जल्द लाएगी कानून
बता दें कि सरकार इस कानून पर लगातार काम कर रही है. उपभोक्ता विभाग ने इसके लिए एक समिति गठन की है. इस पैनल की पहली बैठक 13 जुलाई 2022 को हुई है. इस कानून में मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, ऑटोमोबाइल और ऑटोमोबाइल उपकरण आदि कई चीजें शामिल है. इस कानून के जरिए सरकार पुरानी चीजों को हटाने की संस्कृति को बदलना चाहती है.
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