सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय आने वाले सालों में देश में कई टनल बनाने जा रहा है. सड़क से लोगों के सफर को आसान बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मंत्रालय ने बुनियादी संरचनाओं पर फोकस बनाया है. उसके तहत गडकरी के मंत्रालय ने देश में टनल बनाने पर एक लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना तैयार की है.


गडकरी बोले-बनाए जाएंगे इतने नए टनल


सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने खुद ही अपने मंत्रालय की इस योजना के बारे में जानकारी दी. वह मंगलवार को उद्योग संगठन फिक्की के द्वारा आयोजित कार्यक्रम टनलिंग इंडिया कॉन्फ्रेंस के दूसरे संस्करण में हिस्सा ले रहे थे. उन्होंने बताया कि 1 लाख करोड़ रुपये के खर्च से देश में 74 नए टनल बनाने की योजना है, जिनकी कुल लंबाई 273 किलोमीटर होगी.


भौगोलिक विविधता से आती है नई चुनौतियां


गडकरी ने कहा कि भारत का भूगोल विविधता से भरा हुआ है, जिसके कारण बुनियादी संरचना की परियोजनाओं को पूरा करने में अनोखी चुनौतियां सामने आती हैं. उन्होंने कहा- यूनिक चैलेंजेज को हल करने के लिए हमें ये खोजने की जरूरत है कि वास्तव में कौन सी टेक्नोलॉजी हमारे लिए सबसे अच्छी है और गुणवत्ता पर समझौता किए बिना लागत को कम करने वाली है.


अभी चल रहा है 69 टनलों के निर्माण का काम


केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार पहले ही देश में 35 टनल का काम पूरा कर चुकी है, जिनकी सम्मिलित लंबाई 49 किलोमीटर है. उन टनलों को बनाने में सरकार को 15 हजार करोड़ रुपये का खर्च आया है. उसके अलावा अभी करीब 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से 69 अतिरिक्त टनलों का निर्माण कार्य चल रहा है, जिनकी कुल लंबाई मिलाकर 135 किलोमीटर है.


भारत में बहुत खराब है डीपीआर की गुणवत्ता


उन्होंने साथ ही निर्माण की गुणवत्ता पर जोर देने की जरूरत पर बल दिया. गडकरी ने कहा कि भारत में डीपीआर की क्वालिटी काफी खराब है. डीपीआर कंसल्टेंट हाईवे, सड़क या टनल के निर्माण में प्रॉपर प्रकियाओं का पालन नहीं कर रहे हैं. परियोजनाओं के लिए फाइनेंशियल ऑडिट से ज्यादा महत्वपूर्ण परफॉर्मेंस ऑडिट है. भारत में खास तौर पर हिमालयी क्षेत्रों में टेरेन-स्पेसिफिक अप्रोच अपनाने की जरूरत है. उन इलाकों में भूस्खलन जैसी चुनौतियों को देखते हुए प्रीकास्ट टेक्नोलॉजी और पुश-बैक टेक्निक आदि को अपनाने की जरूरत है.


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