![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/Premium-ad-Icon.png)
दिल-आफजा की वजह से ट्रेंड में है रूह-आफजा, जानें क्या है पूरा मामला
दिल आफजा ब्रांड से 2020 में शरबत कारोबार लैबोरेट्रीज़ कंपनी ने शुरू किया था, जिसे लेकर रूह-आफजा ब्रांड ने कोर्ट में अपील किया था.
![दिल-आफजा की वजह से ट्रेंड में है रूह-आफजा, जानें क्या है पूरा मामला Rooh Afza is in trend because of Dil-Afza know details दिल-आफजा की वजह से ट्रेंड में है रूह-आफजा, जानें क्या है पूरा मामला](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/05/18/ece644fe3051b9e329165457bee0a77a1684401400056666_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
साल 1907 से शरबत बनाने वाली कंपनी रूह-आफजा इन दिनों काफी चर्चा में है. यह चर्चा इसके नाम से मिलता—जुलता नाम दिल आफजा से जुड़ा है. इन दोनों के बीच का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था, जिसे लेकर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दिल आफजा को शरबत बनाने से रोक दिया है.
करीब 117 साल पुरानी रूह-आफजा शरबत बनाने वाली कंपनी अपने शरबत कारोबार को देश के ज्यादातर जगहों पर सप्लाई करती है. इसकी सप्लाई विदेशों में भी होती है. हालांकि 2020 में इसी के नाम से मिलता जुलता लैबोरेट्रीज़ कंपनी ने दिल आफजा शरबत का बिजनेस शुरू किया, लेकिन इसपर रूह आफजा कंपनी ने आपत्ति दर्ज कराई थी.
लैबोरेट्रीज़ कंपनी के दावे पर मुहर
साल 2020 में लैबोरेट्रीज़ कंपनी ने कहा था कि वह 1976 से दिल आफजा नाम से दवाई बना रहा है, जिस कारण उसने इसी नाम से शरबत बनाना शुरू किया है और उसे इसे बनाने से रोका नहीं जा सकता है. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे बनाने और बेचने की इजाजत दे दी थी. इसके बाद हमदर्द नेशनल फाउंडेशन ने इसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट डिवीजन बेंच में अपील की.
दिल आफजा शरबत बेचने पर रोक
दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने इसपर पिछले साल फैसला सुनाते हुए कहा कि रूह आफजा एक प्रतिष्ठित ब्रांड है और इसके मिलते जुलते नाम से शरबत बेचा नहीं जा सकता है. उसी तरह का प्रोडक्ट बेचना ट्रेडमार्क से जुड़े नियमों का उल्लंघन माना जाएगा. हाईकोर्ट ने इस शरबत को बेचने पर रोक लगा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई रोक
हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच के फैसले के खिलाफ लैबोरेट्रीज़ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. इसी पर आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारडीवाला की बेंच ने फैसला सुनाया है और हाईकोर्ट डिवीजन के फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये ट्रेडमार्क से जुड़े नियमों का उल्लंघन है.
ये भी पढ़ें
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. अमित सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/8c07163e9831617114971f5a698471b5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)