मुंबई: घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को कहा कि कारपोरेट और लघु एवं मझोले उपक्रम (एसएमई) क्षेत्र में बैंकिंग प्रणाली का 7.7 लाख करोड़ रुपये का बिना पहचान और दबाव वाला कर्ज है. यानी इसे अभी एनपीए (नॉन प्रॉफिट एसेट) की श्रेणी में डाला नहीं गया है.


अगले 12 से 18 महीने में इसमें से 35 फीसदी यानी करीब 2.6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज एनपीए की श्रेणी में आ जाएगा. रेटिंग एजेंसी ने वेबिनार में कहा, ‘‘भारतीय बैंकों का 7.7 लाख करोड़ रुपये कर्ज दबाव वाला है. इसमें से 2.6 लाख करोड़ रुपये का कॉरपोरेट और एसएमई कर्ज वित्त वर्ष 2018-19 तक दबाव वाले कर्ज की श्रेणी में आ सकता है. यह कुल बैंक रिण का 3.2 फीसदी बैठता है.’’

रेटिंग एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि कुल दबाव वाला कॉरपोरेट और एसएमई कर्ज कुल बैंक कर्ज का 22 फीसदी है. पहचान वाला यानी एनपीए की श्रेणी में डाला जा चुका कॉरपोरेट और एसएमई कर्ज कुल बैंक कर्ज का 12 फीसदी बैठता है.