समय के साथ धातुओं और खनिजों से लेकर खजाने के मतलब बदलते रहते हैं. एक समय था, जब कच्चे तेल (Crude Oil) का कोई मोल नहीं था, लेकिन बाद में वह अनमोल हो गया. समय बदला तो अब कच्चे तेल की जगह लिथियम (Lithium) समेत कुछ अन्य खनिज लेने लगे हैं, जिन्हें रेयर अर्थ मिनरल्स (Rare Earth Minerals) कहा जाता है. भारत में भी हाल ही में इनका बड़ा भंडार मिला है.


नीलाम होंगे ये खनिज भंडार


केंद्र सरकार देश में मिले लिथियम व अन्य रेयर अर्थ मिनरल्स के भंडार को नीलाम करने की तैयारी कर रही है. लाइव मिंट की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि सरकार इन भंडारों की नीलामी के लिए कुछ नियमों में बदलाव करने की योजना शुरू कर चुकी है. लिथियम व अन्य रेयर अर्थ मिनरल्स के भंडार को नीलाम करने के लिए नियमों में जरूरी बदलाव इसी साल शुरू किए जा सकते हैं.


इस नियम में संशोधन की तैयारी


रिपोर्ट के अनुसार, खनन मंत्रालय मिनरल कंसेशन रूल्स 2016 में संशोधन का प्रस्ताव करने वाला है, ताकि खोजे गए भंडार में मौजूद संपदा यानी खजाने की असल वैल्यू मालूम करने का तरीका तय हो सके. रिपोर्ट में मामले से जुड़े दो सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि खनन मंत्रालय ने अनुमानित मूल्य का पता लगाने का तरीका तय करने के लिए संशोधित नियमों का मसौदा पेश कर दिया है.


नीलामी से पहले जरूरी यह काम


आपको बता दें कि खनिजों के भंडार की नीलामी से पहले बिक्री की औसत कीमत यानी एवरेज सेल प्राइस और अनुमानित संसाधनों का मूल्य यानी वैल्यू ऑफ एस्टिमेटेड रिसॉर्सेज को तय करना जरूरी होता है. यही कारण है कि लिथियम और अन्य रेयर अर्थ मिनरल्स की नीलामी के लिए एएसपी व वीईआर का निर्धारण महत्वपूर्ण है. ये तय हो जाने के बाद ही नीलामी के नियम व उसकी शर्तें तय की जा सकेंगी, तथा बोलियां मंगाने के पैमाने भी उसी हिसाब से निर्धारित होंगे.


जुलाई तक मिल जाएगा अंतिम रूप


रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय के द्वारा प्रस्तावित संशोधन को जुलाई तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा. उसके बाद राज्य व केंद्र शासित प्रदेश लिथियम व अन्य रेयर अर्थ मिनरल्स के खदानों की नीलामी के लिए रिजर्व प्राइस व बिड प्रीमियम आदि का निर्धारण कर सकेंगे.


इस कारण तेज हो रही प्रक्रिया


आपको बता दें कि पूरी दुनिया की तरह भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. यह पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ भारत के लिए कई मोर्चे पर मददगार साबित होगा. एक तरफ देश को कार्बन उत्सर्जन कम करने का लख्य पाने में मदद मिलेगी, साथ ही कच्चे तेल पर निर्भरता कम करने में भी मदद मिलेगी, जो अंतत: बहुमूल्य विदेशी मुद्रा भंडार की बचत करेगा. यही कारण है कि सरकार देश में खोजे गए भंडार को जल्द से जल्द इस्तेमाल में लाना चाहती है. अभी भारत लिथियम व अन्य रेयर अर्थ मिनरल्स की जरूरतों के लिए मुख्य तौर पर चीन पर निर्भर करता है.


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