Rupee-Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया 83.14 के लेवल पर हुआ क्लोज, रुपये में कमजोरी से बढ़ सकती है महंगाई!
Rupee-Dollar Update: 2022 में भी डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी के चलते महंगाई में तेजी देखने को मिली थी. एक बार फिर ये खतरा मंडरा रहा है.
Rupee-Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी है. करेंसी मार्केट में एक डॉलर के मुकाबले रुपये का एक्सचेंज रेट 83 रुपये के नीचे 83.16 रुपये तक जा लुढ़का. रुपये में आई इस गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप भी किया है. आरबीआई ने सरकारी बैंकों के जरिए डॉलर बेचा है जिससे रुपये में गिरावट को थामा जा सके.
आरबीआई के डॉलर बेचने के बावजूद एक डॉलर के मुकाबले रुपये 83 के नीचे बना रहा और 83.14 रुपये के लेवल पर जाकर क्लोज हुआ है. बीते साल अक्टूबर में रुपया पहली बार डॉलर के मुकाबले 83.29 के निचले लेवल तक जा फिसला था. विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं जिसके चलते डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ है. डॉलर के मुकाबले रुपया का कमजोर होना भारत के लिए शुभ संकेत नहीं है. भारत के लिए आयात करना महंगा हो सकता है. कच्चे तेल समेत, एडिबल ऑयल, इलेक्ट्रॉनिक्स आईटम्स जो भारत सबसे ज्यादा इंपोर्ट करता है उसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है. डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के चलते देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ सकती है तो व्यापार घाटा, चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है.
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट
विदेशी मुद्रा भंडार एक बार फिर से 600 बिलियन डॉलर के पार जा पहुंचा है. हालांकि ये अक्टूबर 2021 के 645 बिलियन डॉलर के उच्च लेवल से कम है. 2022 में रुपये में गिरावट को थामने के लिए आरबीआई को बार बार डॉलर बेचना पड़ रहा था जिसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है. और आज फिर खबर है कि आरबीआई ने डॉलर बेचे हैं. रुपये को थामने के लिए आरबीआई ने दखल दिया तो विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ सकती है.
महंगा होगा कच्चे तेल का आयात
भारत अपने खपत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. कच्चे तेल के दामों में उछाल और साथ में रुपये की कमजोरी और डॉलर की मजबूती के चलते भारत की तेल कंपनियों के इंपोर्ट करने के लिए ज्यादा कीमत का भुगतान करना पड़ेगा. दरअसल कच्चे तेल के इंपोर्ट करने के लिए डॉलर में ही तेल कंपनियों को भुगतान करना होता है.
महंगा होगा सोना खरीदना!
भारत सोने के बड़े आयातकों में से एक है. त्योहारों का सीजन आने वाला है. नवरात्रि, से लेकर गणेश चतुर्थी, धनतरेस और दिवाली पर जमकर सोने की खरीदारी करते हैं. डॉलर की मजबूती के चलते सोने का आयात महंगा हुआ तो देश में सोने की कीमतों में उछाल देखने को मिल सकता है. ऐसे में त्योहारी सीजन में सोने की खरीदारी पर जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती है.
महंगा होगा इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स!
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स आईटम्स के बड़े आयातकों में शामिल है. रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत हुआ तो इलेक्ट्रॉनिक्स आईटम्स का इंपोर्ट करना महंगा हो सकता है जिससे इन चीजों की कीमतें बढ़ सकती है.
महंगी हो सकती है कारें!
कई ऑटोमोबाइल कंपनियां गाड़ियों के पार्ट्स के लिए आयात पर निर्भर हैं. डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ तो इन पार्ट्स के आयात के लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है. कमजोर रुपये और डॉलर की मजबूती के चलते ऑटमोबाइल कंपनियों की लागत बढ़ी तो वे गाड़ियों की कीमतों में इजाफा कर सकती हैं.
विदेशों में पढ़ाई महंगी
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट भारतीय अभिभावकों की परेशानी को बढ़ा सकती है. जिन अभिभावकों के बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें रुपये के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने के चलते बच्चों की पढ़ाई पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे खासतौर से उन्हें जिनके बच्चे अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें डॉलर भेजने के लिए ज्यादा रुपये खर्च पड़ेंगे.
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