Rupee-Dollar: डॉलर के आगे रुपया पस्त, पहली बार एक डॉलर के मुकाबले 82.33 के लेवल पर हुआ क्लोज
Rupee At All Time Low: सुबह रुपया 82.20 के लेवल पर खुला था और 82.42 के लेवल तक जा लुढ़का. लेकिन निचले स्तरों से मामूली रिकवरी के बाद 82.33 के लेवल पर बंद हुआ है.
Rupee-Dollar: शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया एतिहासिक गिरावट के साथ बंद हुआ. करेंसी मार्केट में रुपया पहली बार 82.33 के लेवल पर क्लोज हुआ है. आज सुबह रुपया 82.20 के स्तर पर खुला और 82.42 के लेवल तक जा गिरा. लेकिन निचले स्तरों से मामूली रिकवरी के बाद रुपया 82.33 के स्तर पर बंद हुआ है.
क्यों गिरा रुपया
इससे पहले आज के ट्रेड के दौरान रुपया सुबह रुपया 82.20 के लेवल पर खुला था और 82.42 के लेवल तक जा लुढ़का. लेकिन निचले स्तरों से मामूली रिकवरी के बाद 82.33 के लेवल पर बंद हुआ है. डॉलर की भारी मांग और निवेशकों की मुनाफावसूली के चलते रुपये में कमजोरी आई है. बाजार को आशंका है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व फिर से ब्याज दरें बढ़ा सकता है. जिसके चलते डॉलर में मजबूती देखी जा रही है. रुपये में आई इस कमजोरी पर एलकेपी सिक्योरिटीज के वीपी रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी ने कहा कि रुपये में आई कमजोरी के बाद ये 82.25 के नीचे चला गया. डॉलर इंडेक्स 112 डॉलर पर कारोबार कर रहा है और उसने 100 डॉलर पर सपोर्ट ले रखा है जिससे बाकी दूसरी करेंसी में कमजोरी आई है. उन्होंने कहा कि जब तक रुपया 81.50 के नीचे कारोबार करेगा तब तक उसमें कमजोरी बनी रहेगी और रुपया 81.15 से 82.75 के बीच बना रहेगा.
महंगे डॉलर का क्या होगा असर
महंगा डॉलर का भारत को बड़ा खामियाजा उठाना होगा. सरकारी तेल कंपनियां ( Oil Marketing Companies) डॉलर में भुगतान कर कच्चा तेल ( Crude Oil) खरीदती हैं. अगर रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा हुआ और रुपया में गिरावट आई तो सरकारी तेल कंपनियों को कच्चा तेल खरीदने के लिए ज्यादा डॉलर का भुगतान करना होगा. इससे आयात महंगा होगा और आम उपभोक्ताओं को पेट्रोल डीजल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. आपको बता दें 23 फरवरी, 2022 को रूस और यूक्रेन के युद्ध शुरू होने से पहले रुपया डॉलर के मुकाबले 74.62 रुपये पर ट्रेड कर रहा था.
- भारत से लाखों बच्चे विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं जिनके अभिभावक फीस से लेकर रहने का खर्च भेजते हैं. उनकी विदेश में पढ़ाई महंगी हो जाएगी. क्योंकि अभिभावकों को ज्यादा रुपये देकर डॉलर खरीदना होगा जिससे वे फीस चुका सकें. महंगे डॉलर का खामियाजा अभिभावकों को उठाना पड़ रहा है.
- खाने का तेल पहले से ही महंगा है. उस पर से डॉलर के महंगे होने पर खाने का तेल आयात करना और भी महंगा होगा. खाने का तेल आयात करने के लिए ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करना होगा. जिससे एडिबल ऑयल के महंगे होने की संभावना है.
- कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मोबाइल से लेकर ऑटोमोबाइल कंपनियां अपनी कई पार्ट्स विदेशों से इंपोर्ट करती है. महंगे डॉलर के चलते इन कंपनियों के लिए आयात करना महंगा हो जाएगा जिससे इन वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी आ सकती है.
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