रुपये में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. तेज गिरावट की वजह से रुपया एशियाई देशों की करेंसी में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला करेंसी बन गया है. कोरोना संकट, फंड फ्लो और अमेरिकी चुनाव ने रुपये के प्रदर्शन पर काफी असर डाला है. पिछले एक सप्ताह में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 1 फीसदी की कमी आ गई है. रुपये के उतार-चढ़ाव को आंकने वाला ब्लूमबर्ग ऑप्शन वोलेटिलिटी इंडेक्स 16 अक्टूबर से अब तक 77 बेसिस प्वाइंट चढ़ कर 7.51 फीसदी पर पहुंच चुका है, जो कि बहुत ज्यादा है.
कोविड की वजह से फंड फ्लो कम
दुनिया भर में रुपया समेत तमाम उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी कोविड-19 की वजह से निवेशकों की सतर्कता की वजह से गिरी है. इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर भी निवेशक नर्वस हैं. विश्लेषकों के मुताबिक करेंसी मार्केट को अभी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर तालमेल बिठाना है. उनका कहना है कि अभी भारत समेत दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में निवेश के लिहाज से फंड फ्लो कम कर रहेगा.इसका असर रुपये पर पड़ेगा. दरअसल दुनिया भर में कोविड की दूसरी लहर ने आर्थिक मोर्चे पर भारी अनिश्चितता पैदा कर दी है. इस लहर की वजह से जर्मनी, फ्रांस समेत कई देशों को दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा है. यही वजह है कि निवेश के मोर्चे पर सुस्ती छाई हुई है.
अमेरिकी चुनाव में नतीजों का इंतजार कर रहे हैं निवेशक
अमेरिकी चुनाव नतीजों से पहले निवेशकों ने बेहद कंजर्वेटिव रुख अपना लिया है. इसलिए भारत में निवेशक कंपनियों की दिलचस्पी घटी हुई है. गुरुवार को रुपया 74.11 पर बंद हुआ था, जबकि 16 अक्टूबर को यह 73.35 पर था. बुधवार को यह 0.31 फीसदी गिरावट के साथ 73.88 पर बंद हुआ था. एशिया की करेंसी में सबसे ज्यादा रुपये में ही गिरावट दर्ज की गई है.
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