Rupee Fall Impact on Economy: भारतीय करेंसी रुपया जबरदस्त गिरावट दिखा रहा है और आज ये डॉलर के मुकाबले 81 रुपये प्रति डॉलर के भी पार निकल गया है. आज शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.20 रुपये प्रति डॉलर तक आ गिरा था और कल के मुकाबले इसमें 41 पैसे की भारी-भरकम गिरावट देखी जा रही है. रुपया 81.20 रुपये प्रति डॉलर के लेवल पर आ गया है और इसने करेंसी बाजार के जानकारों से लेकर इंपोर्टर्स और कारोबारियों के लिए चिंता का माहौल बना दिया है. 


रुपये की गिरावट का इकोनॉमी पर बड़ा असर
इसका कारण है कि रुपये में गिरावट का अर्थव्यवस्था पर कई तरह से असर पड़ता है और भारतीय अर्थव्यवस्था भी इससे अछूती नहीं है. कमजोर रुपये से इंपोर्ट महंगा बना रहता है और इससे घरेलू उत्पादन और जीडीपी को नुकसान पहुंचता है. यहां जानें कैसे रुपये की गिरावट अर्थव्यवस्था से लेकर आम आदमी पर निगेटिव असर डालती है और देश से लेकर घर का बजट भी गड़बड़ाता है.


कच्चा तेल महंगा मिलेगा- देश में बढ़ेगी महंगाई
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है और डॉलर के महंगा होने से कच्चा तेल खरीदने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ेगा क्योंकि कच्चे तेल का पेमेंट डॉलर में जाता है. इससे घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ जाएंगी. पेट्रोल डीजल महंगा हुआ तो सब्जियों से लेकर रोजमर्रा के सामानों के ट्रांसपोर्ट की लागत पर गहरा असर आएगा और इसका असर हर तरह के सामान की कीमत पर पड़ेगा. रुपये की कमजोरी का सबसे ज्यादा असर महंगाई पर देखे जाने की आशंका है. 


कंज्यूमर ड्यूरेबल्स प्रोडक्ट्स होंगे महंगे
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की गिरती कीमत से आयातित कलपुर्जे महंगे होंगे जिससे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स इंडस्ट्री के ऊपर निगेटिव असर आएगा. यह उद्योग महत्वपूर्ण कलपुर्जों के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर करता है. टीवी, फ्रिज, एसी से लेकर कई रेगुलर डिमांड की वस्तुएं जिनमें आयातित पार्ट्स का यूज होता है. 


इन सेक्टर्स के प्रोडक्ट्स की बढ़ती है लागत-उत्पाद महंगे होने का डर
जेम्स एंड ज्वैलरी के साथ पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, मशीनरी के आइटम बनाने वाली कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ जाती है. इससे उनके मार्जिन पर असर पड़ता है जिसे अगर वो ग्राहकों तक पास ऑन करते हैं तो इन सेक्टर्स से जुड़े प्रोडक्ट महंगे हो जाते हैं.


विदेश में यात्रा से लेकर इलाज होगा महंगा
रुपये की गिरावट और डॉलर के महंगा होने से आपको एक डॉलर के एवज में ज्यादा रुपया खर्च करना पड़ता है. इसके चलते विदेश में छुट्टियां मनाने और इलाज का खर्च बढ़ जाना स्वाभाविक है क्योंकि इन सब पर खर्च आपको डॉलर में करना पड़ता है. रुपये में गिरावट के चलते विदेशी यात्रा के लिए अब पहले से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. 


विदेश में पढ़ाई होगी महंगी
विदेशी शिक्षा संस्थानों की ओर से फीस के रूप में वसूले जाने वाले प्रत्येक डॉलर के लिए आपको और ज्यादा रुपया खर्च करना पड़ेगा. इससे आपकी पढ़ाई का कुल खर्चा अनुमान से कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा. 


मोबाइल फोन महंगे होते हैं
रुपये में गिरावट का सबसे ज्यादा असर ऐसे सामान पर सबसे ज्यादा होता है जिनमें इंपोर्टेड पार्ट्स का इस्तेमाल होता है. इस कैटेगरी में जिस वस्तु की सबसे ज्यादा मांग भारत में देखी जाती है वो है मोबाइल फोन. मोबाइल फोन के पार्ट्स महंगे होने के चलते इनकी मैन्यूफैक्चरिंग से लेकर असेंबलिंग तक सारी प्रकिया की लागत बढ़ जाती है. लिहाजा इनके दाम में उछाल देखा जाता है. 


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