Rupee: बाजार में लगातार तेजी पर रुपये की गिरावट पर लगाम नहीं, क्यों नहीं हो रही चिंता और कैसा होगा असर
Rupee Vs Dollar: रुपये में लगातार गिरावट की वजह से जो चिंता होनी चाहिए वो फिलहाल दिख नहीं रही है और ना ही इस पर ज्यादा चर्चा हो रही है.
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Currency Check: भारतीय रुपये की चाल फिलहाल के दिनों में कुछ अस्थिर बनी हुई है. आज मंगलवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी करेंसी के मुकाबले भारतीय रुपया 83.50 पर स्थिर रहा है. विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने से स्थानीय करेंसी पर दबाव पड़ रहा है जिस पर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का असर देखा गया. सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 83.50 पर ही बंद हुआ था. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि मिले-जुले ग्लोबल संकेतों की वजह से रुपया शुरुआती कारोबार में सीमित दायरे में रहा लेकिन इसमें मजबूती लौटने की उम्मीद दिख रही है.
रुपया एक पैसे बढ़कर खुला
इंटरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया एक पैसे की बढ़त के साथ 83.49 प्रति डॉलर पर खुला था. इसके बाद 83.49 से 83.51 प्रति डॉलर के बीच सीमित दायरे में कारोबार करता रहा. रुपया सुबह नौ बजकर 25 मिनट पर रुपया 83.50 प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा था.
आज बाजार में तेजी का रुपये को मिला सपोर्ट
घरेलू शेयर बाजार में शुरुआती कारोबार में तेजी रही जिससे घरेलू करेंसी को समर्थन मिला. सेंसेक्स आज 80,236.81 के हाई तक गया जबकि निफ्टी 24,386.55 के उच्च स्तर तक गया है. इस तरह निफ्टी अपने ऑलटाइम हाई 24,401 के बेहद करीब जाकर लौट आया है. हालांकि ये एक सवाल उठ रहा है कि अगर भारतीय शेयर बाजार की चाल लगातार तेज है तो देश की करेंसी क्यों निचले दायरे में फंसी हुई है.
रुपये का सबसे निचला स्तर क्या है
बीते महीने 20 जून को रुपया अपने इंट्राडे ट्रेड में ऑलटाइम लो लेवल 83.62 तक गया था. हालांकि उस दिन रुपये की क्लोजिंग 83.45 के लेवल पर हुई थी. रुपये का क्लोजिंग लेवल पर सबसे निचला स्तर 83.48 का है.
डॉलर इंडेक्स का अपडेट
इस बीच छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को परखने वाला डॉलर इंडेक्स 0.03 फीसदी की बढ़त के साथ 105.03 पर आ गया है.
रुपये में बनी रही गिरावट तो कैसा होगा असर
- डॉलर के मुकाबले अगर रुपया इसी तर्ज पर गिरता रहा तो विदेशी वस्तुओं की खरीदारी के लिए ज्यादा खर्च करना होगा.
- आयात (इंपोर्ट) पर भारत सरकार को ज्यादा खर्च करना पड़ेगा जिसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार पर विपरीत असर आने की आशंका है.
- भारत के छात्रों के लिए विदेश में फीस और दूसरे एक्सपेंस पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा जिसके चलते पढ़ाई और रहना महंगा होगा.
- विदेश से सामान मंगाने पर अधिक रुपये लगेंगे और इसके बाद भारतीय करेंसी का रुतबा और कम होने का डर है.
ग्लोबल संकेत और शेयर बाजार के आंकड़े
ग्लोबल ऑयल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.28 फीसदी की गिरावट के साथ 85.51 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था. भारतीय शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सोमवार को कैपिटल मार्केट में लिवाल रहे और शुद्ध रूप से 60.98 करोड़ रुपये की कीमत के शेयर खरीदे.
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