(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Explained: 80 के नीचे रुपया, जानिए कमजोर रुपये और मजबूत डॉलर से अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती या होगा नुकसान?
Rupee - Dollar: एक डॉलर के मुकाबले जल्द ही रुपया 82 के लेवल पर ट्रेड करता नजर आ सकता है. एक्सोपोर्टर्स को तो डॉलर की मजबूती से फायदा होगा. लेकिन आयात महंगा हो जाएगा.
Rupee At 80: रुपये ने गिरावट के मामले में मंगलवार को इतिहास रच दिया. डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 80 के लेवल के नीचे जा लुढ़का है. हालांकि जानकारों का मानना है कि रुपये में गिरावट का सिलसिला यहीं थमने वाला नहीं है. कच्चे तेल के दामों में और उछाल आया और अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की तो भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट से निवेशक पैसा निकाल सकते हैं जिससे रुपया और कमजोर हो सकता है और रुपया 82 से भी नीचे जा सकता है.
क्यों गिर रहा है रुपया
रुपया इस समय वैश्विक कारणों से साथ घरेलू कारणों के चलते भी नीचे गिर रहा है. शेयर बाजारों में गिरावट तो इसके पीछे की वजह है ही ब्याज दरों में बढ़ोतरी के ग्लोबल रुझान के बीच विदेशी फंडों की ओर से बिकवाली जारी रहने से भी रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है. हालांकि ये जानकार आप हैरान हो जायंगे कि डॉलर के मुकाबले रुपया से ज्यादा गिरावट पाउंड, येन और यूरो में देखा जा रहा है. डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा कम और नुकसान ज्यादा है. हालांकि ऐसा नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था रुपये में कमजोरी के चलते किसी प्रकार के संकट में है. 2022 में डॉलर 10 फीसदी के करीब मजबूत हुआ है और 20 सालों के उच्चतम स्तरों पर ट्रेड कर रहा है.
विदेशी निवेशकों की रिकॉर्ड बिकवाली
महंगाई दर में उछाल और पॉलिसी रेट्स यानि ब्याज दरों में बढ़ोतरी और वैश्विक तनाव के चलते 2022 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अब तक रिकॉर्ड बिकवाली की है. 2022 में अब तक 2.25 लाख करोड़ रुपये अपना निवेश वापस ले चुके हैं. इससे पहले 2008 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 52,987 करोड़ रुपये निवेश वापस ले लिया था.
महंगे डॉलर का क्या होगा असर
कई जानकारों का मानना है कि एक डॉलर के मुकाबले जल्द ही रुपया 82 के लेवल पर ट्रेड करता नजर आ सकता है. एक्सोपोर्टर्स को तो डॉलर की मजबूती से फायदा होगा. लेकिन इंपोर्ट यानि कच्चा माल या फिर कोई भी आईटम्स विदेशों से आयात करना महंगा हो जाएगा. जिन कंपनियों ने विदेशों से कर्ज लिया है उनकी ब्याज की देनदारी महंगी हो जाएगी.
महंगे डॉलर से क्या होगा नुकसान
1. कच्चा तेल का आयात होगा महंगा- भारत दूनिया का दूसरा सबसे ज्यादा ईंधन खपत करने वाला देश है. जो 80 फीसदी आयात के जरिए पूरा किया जाता है. सरकारी तेल कंपनियां ( Oil Marketing Companies) डॉलर में भुगतान कर कच्चा तेल ( Crude Oil) खरीदती हैं. अगर रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा हुआ और रुपया में गिरावट आई तो सरकारी तेल कंपनियों को कच्चा तेल खरीदने के लिए ज्यादा डॉलर का भुगतान करना होगा. इससे आयात महंगा होगा और आम उपभोक्ताओं को पेट्रोल डीजल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी.
2. विदेशों में पढ़ाई महंगी- भारत से लाखों बच्चे विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं जिनके अभिभावक फीस से लेकर रहने का खर्च अदा कर रहे हैं. उनकी विदेश में पढ़ाई महंगी हो जाएगी. रुस यूक्रेन युद्ध के बाद 7 फीसदी डॉलर मजबूत हुआ है तो अभिभावकों के लिए विदेशों में पढ़ाने का खर्च 7 फीसदी महंगा हो गया है. जून से लेकर अगस्त के दौरान विदेशों में दाखिला शुरू होने के चलते वैसे भी डॉलर की मांग बढ़ जाती है. महंगे डॉलर का खामियाजा अभिभावकों को उठाना होगा.
3. खाने का तेल होगा और महंगा- खाने का तेल पहले से ही महंगा है. खपत का पूरा करने के लिए भारत काने का तेय आसात करता है. खाने का तेल आयात करना और भी महंगा होगा. खाने के तेल आयात करने के लिए ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ेगी.
4. मोबाइल - लैपटॉप होंगे महंगे- कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियां अपनी कई पार्ट्स विदेशों से इंपोर्ट करती है. मोबाइल और लैपटॉप बनाने वाली कंपनियां भी कई चीजें विदेशी से आयात करती हैं. डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी से आयात महंगा होगा तो मोबाइल, लैपटॉप लेकर दूसरे कई कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आईटम्स महंगे हो जायेंगे.
5. रोजगार पर आफत- रुपये में आ रही कमजोरी का असर रोजगार ( Employment) पर पड़ने लगा है. खास तौर से जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर ( Gems And Jewellery Sector) में जो रूस और यूक्रेन के युद्ध ( Russia Ukraine War) के चलते पहले से ही संकट में था अब रुपये में कमजोरी ने इस सेक्टर की मुश्किलें और बढ़ा दी है.
आइए डालते हैं नजर, मजबूत डॉलर का किस प्रकार अर्थव्यवस्था को पहुंचता है फायदा
1. Remittance पर ज्यादा रिटर्न - यूरोप या खाड़ी के देशों में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं. अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं जो डॉलर में कमाते हैं और अपनी कमाई देश में भेजते हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा Remittance पाने वाला देश भारत है. साल 2021 में भारत में Remittance के जरिए 87 अरब डॉलर प्राप्त हुआ था. जो 2022 में बढ़कर 90 बिलियन होने का अनुमान है. 23 फीसदी से ज्यादा Remittance भारत में अमेरिका से आता है. ये Remittance जब भारतीय अपने देश डॉलर के रुप में भेजते हैं तो विदेशी मुद्रा भंडार इससे तो बढ़ता ही है साथ ही इन पैसे से सरकार को अपने कल्याणकारी योजनाओं को चलाने के लिए धन प्राप्त होता है. और जो लोग Remittance भेजते हैं उन्हें अपने देश में डॉलर को अपने देश की करेंसी में एक्सचेंज करने पर ज्यादा रिटर्न मिलता है.
2. निर्यातकों को फायदा - डॉलर में मजबूती का बड़ा फायदा एक्सपोटर्स को होता है. निर्यातक जब कोई प्रोडक्ट दूसरे देशों में बेचते हैं तो उन्हें भुगतान डॉलर के रुप में किया जाता है. डॉलर की मजबूती का मतलब है कि उन्हें अपने प्रोडक्ट के लिए ज्यादा कीमतें मिलेंगी. और वे डॉलर को देश के एक्सचेंज मार्केट में बेंचेंगे तो रुपये में कमजोरी के चलते उन्हें एक डॉलर के मुकाबले ज्यादा रुपये प्राप्त होंगे.
3. आईटी इंडस्ट्री - डॉलर में मजबूती का बड़ा फायदा देश के आईटी सर्विसेज इंडस्ट्री को होता है. भारत की दिग्गज आईटी कंपनियां टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, टेक महिंद्रा, एचसीएल जैसेी कंपनियां की सबसे ज्यादा कमाई विदेशों में आईटी सर्विसेज देने से प्राप्त होती है. इन कंपनियों को डॉलर में भुगतान किया जाता है. जब ये देसी आईटी कंपनी डॉलर में कमाई अपने देश लेकर आते हैं तो रुपये में कमजोरी और डॉलर में मजबूती से उन्हें जबरदस्त फायदा मिलता है. तो डॉलर की मजबूती से इन कंपनियों की विदेशों में सर्विसेज देने से आय भी बढ़ जाती है.
4. ज्यादा आयेंगे विदेशी सैलानी- महंगे डॉलर के चलते विदेशों में घूमना भले ही महंगा हो जाये. लेकिन जो विदेशी सौलानी भारत आना चाहते हैं उनके लिए राहत है. उन्हें रुपये में कमजोरी के चलते ज्यादा सर्विसेज प्राप्त होगा. रुपये में कमजोरी के चलते टूर पैकेज सस्ते हो जायेंगे. देश में स्ते टूर पैकेज के चलते विदेशी सैलानी ज्यादा आयेंगे.
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