Rupee Opening: 1 पैसे की कमजोरी पर खुला रुपया, 77.99 के मुकाबले 78 ₹ प्रति डॉलर पर ओपन
Rupee Opening: रुपये की गिरावट का दौर कुछ थमता नजर आ रहा है और इसमें आज सिर्फ 1 पैसे की कमजोरी के साथ कारोबार ओपन हुआ है. जानें रुपये का आज का लेवल...
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Rupee Opening: भारतीय करेंसी रुपये में आई गिरावट कुछ थमती नजर आ रही है और इसमें 78 रुपये प्रति डॉलर के आसपास के लेवल ही बने हुए हैं. आज रुपया 1 पैसे की गिरावट के साथ खुला है. कल के 77.99 रुपये प्रति डॉलर के मुकाबले आज भारतीय रुपया 78 रुपये प्रति डॉलर पर खुला है.
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट
नकारात्मक वैश्विक संकेतों के साथ-साथ घरेलू कारकों के संयोजन के बीच भारतीय मुद्रा पर निकट भविष्य में दबाव बने रहने की उम्मीद है. हालांकि, केंद्रीय बैंक आरबीआई की ओर से रुपये का समर्थन करने और विनिमय दर में किसी भी तेज मूल्यह्रास को रोकने के लिए विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में हस्तक्षेप करने की संभावना है. बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई है.
सोमवार को ऑलटाइम लो पर रुपया
मौद्रिक नीति की बैठक में इस सप्ताह यूएस फेड द्वारा आक्रामक नीति को सख्त करने की उम्मीदों के कारण डॉलर में मजबूती के बीच सोमवार को भारतीय रुपया 78.04 प्रति अमेरिकी डॉलर के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसल गया था.
विदेशी फंडों की बिकवाली से भी रुपये पर दबाव
रिपोर्ट में कहा गया है कि बाहरी कारकों के अलावा, घरेलू कारकों जैसे कि तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बनी हुई हैं और लगातार विदेशी फंडों के विड्रॉल्स ने भी रुपये पर दबाव बनाने में योगदान दिया है.
डॉलर की सेफ-हेवन डिमांड में बढ़ोतरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक विकास के लिए बढ़ते जोखिम ने डॉलर की सेफ-हेवन डिमांड में वृद्धि की है, इसके अलावा चीन ने एक बार फिर बीजिंग में लॉकडाउन प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे निवेशकों की भावनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचा है. रिपोर्ट के अनुसार, "चीन में कोविड-19 प्रतिबंध, रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक सख्ती वैश्विक विकास पर भार डालेगी."
एफपीआई कर रहे लगातार 9 महीने से बिकवाली
इसमें आगे कहा गया है, "एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) घरेलू बाजार में लगातार 9 महीनों से शुद्ध बिकवाली कर रहे हैं. जून 2022 में भी, एफपीआई ने भारतीय बाजार से अब तक 2.4 अरब डॉलर निकाले हैं. अमेरिका में ब्याज दरों के अन्य जगहों की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ने की संभावना के साथ, भारत जैसे उभरते बाजारों में एफपीआई प्रवाह के मौन रहने की संभावना है."
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