Rupee Open: सुधार के साथ रुपया 8 पैसे मजबूत खुला, 77.34 प्रति $ पर ओपन होकर 77.31 तक आया
Rupee-Dollar Open: रुपये के लगातार चढ़ने से भारत का आयात खर्च बेहद बढ़ने की आशंका है और इससे देश में जरूरी वस्तुओं का इंपोर्ट महंगा होगा.
Rupee Open: डॉलर के मुकाबले रुपये की लगातार गिरती कीमत पर अब कुछ लगाम लगती दिख रही है. कल यानी गुरुवार को डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अपने सर्वाधिक निचले स्तर 77.59 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया था. रुपया आज 77.34 पर खुला जो कि कल 77.42 पर बंद हुआ था, यानी आज रुपये में 8 पैसे की तेजी के साथ ओपन मिला है.
शुरुआती कारोबार में 77.31 पर पहुंचा रुपया
आज शुरुआती कारोबार में रुपये में 19 पैसे की मजबूती दर्ज की गई और ये 77.31 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया था. रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे चढ़ गया. अमेरिकी मुद्रा में आई कुछ कमजोरी से रुपये को बल मिला. इससे पहले बृहस्पतिवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ था. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77.35 पर खुला, और फिर बढ़त दर्ज करते हुए 77.31 पर आ गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 19 पैसे की बढ़त दर्शाता है. रुपया बृहस्पतिवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 25 पैसे की गिरावट के साथ 77.50 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था जो इसका सर्वकालिक निचला स्तर था.
अन्य तथ्य जानें
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सीमित दायरे में कारोबार कर सकता है. इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ 104.65 पर आ गया. वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.68 प्रतिशत बढ़कर 109.25 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था. शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बृहस्पतिवार को शुद्ध आधार पर 5,255.75 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.
क्यों आ रही है डॉलर में तेजी और रुपये में गिरावट
अमेरिकी बाजारों में महंगाई के चरम पर आने से ब्याज दरों के बढ़ने से डॉलर सेंटीमेंट मजबूत हुआ है और इसका असर ग्लोबल करेंसी मार्केट पर आ रहा है. कल आए महंगाई के आंकड़ों में यूएस इंफ्लेशन डेटा अप्रैल में वैसे तो 8.3 फीसदी पर आया है लेकिन मार्च में ये 8.5 फीसदी पर था जो इसका 40 सालों का शिखर था.
अमेरिका में महंगाई अभी भी 40 सालों के उच्च स्तर के करीब ही है और माना जा रहा है कि यूएस फेडरल रिजर्व इसे काबू में करने के लिए अगली फेड मीटिंग में ब्याज दरों में इजाफा करेगा. इसका सीधा असर डॉलर की कीमतें और बढ़ने के रूप में देखा जाएगा.
रुपये के लगातार चढ़ने से भारत में क्या होगा असर
रुपये के लगातार चढ़ने से भारत का आयात खर्च बेहद बढ़ने की आशंका है और इससे देश में जरूरी वस्तुओं का इंपोर्ट महंगा होगा. इसके चलते देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी होने का डर है और आम लोगों पर भी इसका असर आएगा.
ये भी पढ़ें