Rupee at All time Low: डॉलर के आगे रुपया पस्त, रिकॉर्ड निचले स्तर 77.82 रुपये पर पहुंचा एक डॉलर का भाव
Rupee-Dollar: 23 फरवरी, 2022 को युद्ध शुरू होने से पहले रुपया डॉलर के मुकाबले 74.62 रुपये पर था जो गिरकर 10 जून, 2022 को 77.82 रुपये पर आ चुका है.
Rupee at All time Low: डॉलर के मुकाबले रुपया हर दिन गिरावट का नया रिकॉर्ड बना रहा है. शुक्रवार को करेंसी मार्केट में रुपया एक बार फिर अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर जा गिरा है. शुक्रवार की सुबह रुपया 8 पैसे की गिरावट के साथ खुलते हुए 77.82 रुपये पर जा लुढ़का. गुरुवार को रुपया एक डॉलर के मुकाबले 77.74 के लेवल पर क्लोज हुआ था.
डॉलर के आगे रुपया पस्त
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में तेजी और शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के चलते रुपये में ये गिरावट देखी जा रही है. खासतौर से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होने के बाद से रुपया लगातार डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है. विदेशी निवेशकों द्वारा वैश्विक अस्थिरता के चलते अपने निवेश को वापस निकालने के चलते डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के अपने ऐतिहासिक निचले स्तर 77.82 रुपये पर जा गिरा है. आपको बता दें 23 फरवरी, 2022 को युद्ध शुरू होने से पहले रुपया डॉलर के मुकाबले 74.62 रुपये पर था जो गिरकर 10 जून, 2022 को 77.82 रुपये पर आ चुका है. रुपया में गिरावट को थामने के लिए आरबीआई नई कई कदम उठाये हैं. आरबीआई ने डॉलर बेचें हैं. लेकिन विदेशी निवेशक लगातार भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर निवेश निकाल रहे हैं जिससे रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है. 2022 में अब तक विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से 1.57 लाख करोड़ रुपये वापस निकाल चुके हैं. रुपये को नहीं थामा गया तो रुपये में गिरावट के चलते लोगों पर महंगाई की और मार पड़ सकती है आयात महंगा हो सकता है ऐसे में इसका भार कंपनियां सीधा आम लोगों पर डालेंगी. कई जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में एक डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये प्रति डॉलर तक गिर सकता है.
क्यों आई रुपये में गिरावट
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ( Federal Reserve) द्वारा ब्याज दर ( Interest Rate) बढ़ाने जाने की आशंका के मद्देनजर 10 वर्ष के अमेरिकी बांड पर ब्याज बढ़कर 3 फीसदी पर जा पहुंचा है. इसी खबर के बाद रुपये में कमजोरी देखी जा रही है. वहीं कच्चे तेल के दाम 13 हफ्ते के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है. मई में चीन से एक्सपोर्ट बढ़ा है. माना जा रहा है चीन लॉकडाउन में ढील देने जा रहा है. वहीं अमेरिका में भी कच्चे तेल की डिमांड बढ़ने की उम्मीद है यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी बनी हुई है.
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