Rupee Weakens Against Dollar: रुस और यूक्रेन के बीच युद्ध ( Russia Ukraine War) के चलते डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी जारी है. मंगलवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया नौ पैसे फिसलकर 77.02 पर आ गया. सोमवार को भी डॉलर के मुकाबले रुपया अपने निचले स्तर 77 रुपये के स्तर तक जा गिरा था. अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों द्वारा रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने की खबरों पर कच्चे तेल के ताजा उछाल के बाद रुपया सोमवार को लगभग 77 डॉलर प्रति डॉलर के निचले स्तर पर जा पहुंचा है.  यह लगातार पांचवा सत्र था जब घरेलू करेंसी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई है. 


क्या होगा महंगे डॉलर का असर



  • भारत दूनिया का दूसरा सबसे ज्यादा ईंधन खपत करने वाला देश है. जो 80 फीसदी आयात के जरिए पूरा किया जाता है. सरकारी तेल कंपनियां डॉलर में भुगतान कर कच्चा तेल खरीदती हैं. अगर डॉलर महंगा हुआ और रुपया सस्ता हुआ तो उन्हें डॉलर खरीदने के लिए ज्यादा रुपये का भुगतान करना होगा. इससे आयात महंगा होगा और आम उपभोक्ताओं को पेट्रोल डीजल के लिए ज्यादा कीमत ना चुकानी पड़ेगी. वैसे भी तीसरी तिमाही में भारत को 24 अरब डॉलर ज्यादा कच्चा तेल खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ा है. लेकिन कच्चे तेल में जिस तरह उछाल है देश का वित्तीय घाटा बढ़ सकता है. 


 



  •  भारत से लाखों बच्चे विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं जिनके अभिभावक फीस से लेकर रहने का खर्च अदा कर रहे हैं. उनकी विदेश में पढ़ाई महंगी हो जाएगी. क्योंकि अभिभावकों को  ज्यादा रुपये देकर डॉलर खरीदना होगा जिससे वे फीस चुका सकें. जिससे महंगाई का उन्हें झटका लगेगा. जुलाई से अगस्त के दौरान दाखिला शुरू होने के चलते वैसे भी डॉलर की मांग बढ़ जाती है.


 



  •  खाने का तेल पहले से ही महंगा है जो आयात तो पूरा किया जा रहा है. डॉलर के महंगे होने पर खाने का तेल आयात करना और भी महंगा होगा. खाने के तेल आयत करने के लिए ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ रहा है. 


 



  • इस गर्मी की छुट्टी में जो लोग विदेश घुमने की प्लानिंग कर रहे थे उन्हें झटका लगेगा. क्योंकि घुमने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेगा. विदेशों में घूमना होगा महंगा. जिससे उनपर महंगाई का असर पड़ेगा. ट्रैवल इंडस्ट्री वैसे ही कोरोना के कारण संकट के दौर से गुजर रही थी उसपर से डॉलर की मजबूती से उन्हें झटका लगा है. 


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