(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rural Economy: ग्रामीण अर्थव्यवस्था लौट रही पटरी पर, ऑटो-एफएमसीजी प्रोडक्ट्स की बढ़ी डिमांड, बिजनेस लोन की मांग ने भी पकड़ी रफ्तार
Rural Demand On Rise: महंगाई में कमी और कृषि आय में बढ़ोतरी के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिल रहे हैं.
Rural Economy: ग्रामीण इलाकों से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत मिलने लगे हैं. 2022-23 की चौथी तिमाही के लिए एमएमसीजी, टूव्हीलर कंपनियों के सेल्स के जो आंकड़े आए हैं वो बेहद उत्साहजनक है. खरीफ फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी के चलते किसानों की आय बढ़ी है तो कृषि क्षेत्र से जुड़े मजदूरों की आय में भी बढ़ोतरी के चलते पिछले कुछ महीनों में ग्रामीण इलाकों में डिमांड बढ़ी है जिसके बाद ये माना जा रहा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है.
ग्रामीण इलाकों में बढ़ी FMCG प्रोडक्ट्स की मांग
एफएमसीजी कंपनियों की मानें तो 2023 में ग्रामीण इलाकों में एफएमसीजी गुड्स की मांग बढ़ी है. बेहतर खरीफ फसल के चलते ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय बढ़ी है तो पिछले कुछ महीनों में महंगाई भी कम हुई जिसके बाद लोग पहले के मुकाबले ज्यादा खर्च कर रहे हैं. एफएमसीजी कंपनी मैरिको ने 2022-23 की चौथी तिमाही के नतीजों का एलान करते हुए बताया कि मैक्रो इंडिकेटर्स में सुधार देखा जा रहा है. कमोडिटी की महंगाई कम हुई है जिसके चलते खपत का ट्रेंड बेहतर नजर आ रहा है.
बेहतर मानसून से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आएगी तेजी
एफएमसीजी कंपनियों के कुल सेल्स में ग्रामीण सेल्स की हिस्सेदारी एक तिहाई से भी ज्यादा है. जबकि सेक्टर की कुछ कंपनियों के लिए उनके कुल सेल्स का आंकड़ा 40 फीसदी के करीब है जिसमें डाबर, आईटीसी और पार्ले प्रोडक्ट्स जैसी कंपनियां शामिल हैं. जनवरी से मार्च तिमाही में ग्रामीण इलाकों में एफएमसीजी कंपनियों के सेल्स में 17 फीसदी के करीब का उछाल आया है. जबकि 2022-23 की पहली तीन तिमाही में महंगाई के चलते सेल्स में गिरावट देखने को मिली थी. लेकिन अब ट्रेंड बदलता नजर आ रहा है. और मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक इस वर्ष मानसून बेहतर रहा तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए ये सोने पे सुहागा साबित हो सकता है.
टूव्हीलर और कारों की भी बढ़ी मांग
दोपहिया वाहनों की बात करें तो 31 मार्च 2023 को खत्म हुए वित्त वर्ष में टू-व्हीलर्स की सेल्स में 1.6 करोड़ रही है. 2022-23 में टूव्हीलर्स के रजिस्ट्रेशन में 20 फीसदी का उछाल आया है. जबकि 2020-21 और 2021-22 टूव्हीलर्स सेल्स में 20 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली थी. ग्रामीण इलाकों में मारुति सुजुकी की सेल्स लगातार बढ़ रही है. मारुति के कार सेल्स में ग्रामीण इलाकों की हिस्सेदारी बीते साल के 35.6 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 44.4 फीसदी हो गई है. और ये श्रेय बीते वर्ष बेहतर मानसून के चलते खरीफ फसलों के उत्पादन में उछाल को जाता है जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आई है. हीरो मोटोकोर्प जो अपने कुल सेल्स की 50 फीसदी टूव्हीलर्स ग्रामीण इलाकों में बेचती है. कंपनी ने तीसरी तिमाही के नतीजों का एलान करने के बाद कहा था कि ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं.
बिजनेस लोन की मांग में बढ़ोतरी
मोतीलाल ओसवाल के रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में अनसिक्योर्ड बिजनेस लोन की मांग बढ़ी है और ये और बढ़ने की उम्मीद है. एफएमसीजी समेत कई सारे फाइनैंशियल संस्थाएं पर्सनल लोन जैसे प्रोडेक्ट पर ओवरड्रॉफ्ट भी ऑफर कर रही हैं. ब्याज दरें बढ़ने के बावजूद लोन की मांग में कोई स्लोडाउन देखने को नहीं मिला है.
अल नीनो कर सकता है बेड़ा गर्क
हालांकि इन तमाम आंकड़ों और पॉजिटिव फेक्टर्स के बावजूद चुनौतियों बरकरार है. मार्च महीने के लिए वित्त मंत्रालय ने जो अपनी मंथली इकोनॉमिक रिव्यू रिपोर्ट जारी किया है उसके मुताबिक अल नीनो से आगाह किया गया है जिसके चलते सूखे के हालात पैदा हो सकते हैं तो कृषि उत्पादन में गिरावट आ सकती है. ऐसा हुआ तो महंगाई बढ़ सकती है जिसके असर से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी अछूती नहीं रहेगी.
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