गांवों में बढ़ी रोजमर्रा के सामानों की बिक्री, एफएमसीजी कंपनियों को बढ़िया रेवेन्यू की उम्मीद
ग्रामीण इलाकों में पिछले कुछ दिनों के दौरान खपत में काफी इजाफा हुआ है और बिक्री कोविड-19 से पहले के दौर के 85 फीसदी तक पहुंच चुकी है.
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लॉकडाउन के बाद रूरल मार्केट में एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री काफी बढ़ गई है. ग्रामीण इलाकों में पिछले कुछ दिनों के दौरान खपत में काफी इजाफा हुआ है और बिक्री कोविड-19 से पहले के दौर के 85 फीसदी तक पहुंच चुकी है. प्रवासी मजदूरों के घर लौटने का असर एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री पर साफ दिख रहा है. लॉकडाउन के दौरान देश के ग्रामीण इलाकों में खुदरा बिक्री कोई खास झटका नहीं लगा. इसलिए बिक्री का रिकार्ड अच्छा रहा. इसकी तुलना में शहरी मार्केट में बिक्री कम रही है.
शहरी इलाकों की तुलना में रूरल इंडिया में बढ़ी मांग
इकनॉमिक टाइम्स ने नीलसन के डेटा के हवाले से कहा है कि शहरी इलाकों में बिक्री मई में 70 फीसदी तक ही पहुंच पाई थी. अगले नौ महीनों में शहरी बाजारों में एफएमसीजी प्रोडक्ट्स की बिक्री में पांच फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसमें दोगुना इजाफा हो सकता है. हिन्दुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले, डाबर और पार्ले समेत दस से ज्यादा कंपनियों को उम्मीद है कि मौजूदा वित्त वर्ष में उनकी बिक्री में ज्यादा हिस्सेदारी ग्रामीण बाजारों की रहेगी. ग्रामीण बाजारों में जिस तरह खपत में इजाफा दिख रहा है, उससे इन कंपनियों को अपने रेवेन्यू में अच्छी बढ़त की उम्मीद दिख रही है.
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री में 2 से 3 फीसदी की कमी आ सकती है लेकिन ग्रामीण बाजारों में इसमें तेज इजाफा दर्ज होगा. भारत के 80 करोड़ लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं लेकिन एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री में उनकी हिस्सेदारी 36 फीसदी है.प्रवासी मजदूरों के घरों के लौटने से रूरल मार्केट में मांग बढ़ने लगी है. मनरेगा के तहत काम मिलने से प्रवासी मजदूरों के पास कैश आने लगा है. इससे भी खपत को बढ़ावा मिला है. पिछले कुछ सालों से गांवों में खपत का पैटर्न भी बदल रहा है.
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