Russia-Ukraine Conflict: जानिए कैसे रूस-यूक्रेन का विवाद बढ़ा सकता है भारतीय अर्थव्यवस्था की मुसीबत!
रूस भारत के बड़े व्यापार साझीदारी में से एक है. भारत रूस से कच्चे तेल के अलावा, गैस, न्यूक्लियर प्लांट के साथ एलएनजी और कई दूसरे कमोडिटी इंपोर्ट करता है. रक्षा क्षेत्र में भी रूस भारत का साझेदार है.
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Russia-Ukraine War Impact On Indian Economy: रूस के यूक्रेन के हमले ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. इस हमले के अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जाते हुए 102 डॉलर प्रति बैरल के करीब जा पहुंचा है जो 2014 के बाद सबसे उच्चतम कीमत है.
महंगे कच्चे तेल से बढ़ेगी मुसीबत
रूस यूक्रेन के बीच युद्ध को थामा नहीं गया तो कच्चे तेल के दाम और बढ़ सकते हैं जिससे भारत की मुसीबत और बढ़ेगी. दरअसल रूस दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल है. रूस यूरोप को उसके कुल खपत का 35 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई करता है. भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है. दुनिया में 10 बैरल तेल जो सप्लाई की जाती है उसमें एक डॉलर रूस से आता है. ऐसे में कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होने से कीमतों में और अधिक तेजी आ सकती है. जिससे भारत में महंगाई जबरदस्त तरीके से बढ़ सकती है.
इतना ही रूस पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगाने की बात चल रही है. अगर ऐसा हुआ तो रूस से तेल और गैस की सप्लाई में कमी आएगी जिसका असर तेल गैस के दामों पर पड़ेगा. रूस से एल्युमिनियम समेत कई कमोडिटी सप्लाई की जाती है. सप्लाई बाधित होने से भारत समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ेगा.
भारत-रूस व्यापार अपडेट
रूस भारत के बड़े व्यापार साझीदारी में से एक है. भारत रूस से कच्चे तेल के अलावा, गैस, न्यूक्लियर प्लाट के साथ साथ एलएनजी और कई दूसरे कमोडिटी इंपोर्ट करता है. रक्षा क्षेत्र में भी रूस भारत के बड़े साझेदारों में से एक है. रूस और भारत के बीच 31 मार्च 2021 तक 8.1 अरब डॉलर का ट्रेड था. जिसमें भारत द्वारा रूस को 2.6 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया जाता है तो रूस से भारत 5.48 अरब डॉलर का आयात करता है. 2025 तक दोनों देशों ने 50 अरब डॉलर का द्विपक्षीय निवेश करने का लक्ष्य रखा है तो 30 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रखा हुआ है.
भारत ने रूस के पूर्वी क्षेत्र में विकास के लिए एक बिलियन डॉलर लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा की है. साथ ही तेल और गैस के क्षेत्र में भारत ने अरबों डॉलर रूस में निवेश किया हुआ है. ऊर्जा क्षेत्र में एक तरह से भारत का रूस बड़े साझीदार देशों में से एक है. ऐसे में रूस - यूक्रेन विवाद गहराने या फिर लंबा खींचने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर देखा जा सकता है.
एक्सपर्ट की राय
एनर्जी क्षेत्र के जानकार नरेंद्र तनेजा के मुताबिक, इस विवाद के चलते तेल बाजार, गैस बाजार, दुनिया के सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए अस्थिर वाले दिन हो सकते हैं. रूस पर प्रतिबंध लगने से संकट गहरा सकता है. कमोडिटी के दाम बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि भारत के लिए चिंता की बात ये है कि भारत ने अरबों डॉलर का निवेश रूस के तेल एंव गैस के क्षेत्र में किया हुआ है. रूस के ईस्टर्न क्षेत्र में भी भारत ने निवेश किया है. इस विवाद से ऊर्जा अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है.
बहरहाल एक तो कोरोना महामारी से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था वैसे ही पूरी तरह से सकंट से उबर नहीं पाई थी. उसपर से रूस के यूक्रेन पर हमले के चलते कमोडिटी के बढ़ते दामों में बढ़ोतरी से भारत समेत पूरी दुनिया के देशों के अर्थव्यवस्था पर संकट और गहरा सकता है.
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