Russia Ukraine War: रूस ग्लोबल पेमेंट सिस्टम SWIFT से हुआ बाहर, भारत की भी बढ़ी मुश्किलें, जानें क्या है स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम
Russia Ukraine War: रूस पर रोक लगाने से अमेरिका यूरोपीय देशों को भी नुकसान का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि तमाम इन देशों की बड़ी कंपनियां अपना सामान रूस में निर्यात करती हैं.
Russia Ukraine War: रूस (Russia) के यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के बीच अमेरिका (US) और यूरोपीय देश (European countries) एक के बाद एक आर्थिक प्रतिबंध (Sanctions on Russia) लगाने का ऐलान कर रहे हैं जिससे रूस को आर्थिक तौर पर उसे कमजोर किया जा सके. सबसे बड़े प्रतिबंधों में से एक है रूस के प्रमुख बैंकों को भुगतान प्रणाली स्विफ्ट (Swift) से बाहर करना. अमेरिका यूरोपीय देशों द्वारा रूस के बैंकों को स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम से ब्लॉक करना एक बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है. इससे रूस के फाइनैंनशियल सिस्टम को बड़ा झटका लगा है और उसे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि रूस पर रोक लगाने से अमेरिका यूरोपीय देशों को भी नुकसान का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि तमाम इन देशों की बड़ी कंपनियां अपना सामान रूस में निर्यात करती हैं. स्विफ्ट सिस्टम से अगर रूस बाहर हुआ तो तमाम बड़ी कंपनियों का भुगतान भी तो रूक जाएगा.
रूस स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम से बाहर
रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद ही पश्चिमी देशों की ओर से यह मांग उठ रही थी कि रूस को वैश्विक वित्तीय प्रणाली ( (Global Payment System) से अलग-थलग कर दिया जाए. इस कड़ी में फैसला लेते हुए रूस को वैश्विक भुगतान प्रणाली स्विफ्ट से बाहर किया गया है. यूके (UK) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने ट्वीट कर रूस को स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम से बाहर करने की जानकारी दी है. जॉनसन ने ट्वीट कर कहा, 'हमने रूस को वैश्विक वित्तीय प्रणाली से बाहर निकालने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ आज रात निर्णायक कार्रवाई की है, जिसमें स्विफ्ट से रूसी बैंकों को बाहर निकालने का महत्वपूर्ण पहला कदम भी शामिल है. हम यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे कि पुतिन अपनी आक्रामकता की कीमत चुकाएं.
क्या है स्विफ्ट
स्विफ्ट एक वैश्विक पेमेंट सिस्टम ( Global Payment System) है. इसका पूरा नाम द सोसायटी फॉर वर्ल्ड वाइड इंटरबैंक फाइनैंशल टेलिकम्युनिकेशन (The Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) है. यह एक तरह से फाइनेंशियल मेसेजिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर है, जो दुनिया के बैंकों को आपस में जोड़ने का काम करता है. दुनिया के 200 देशों और 11 हजार वित्तीय संस्थान इस ग्लोबल पेमेंट सिस्टम से जुड़े हैं जिन्हें स्विफ्ट के जरिए फाइनैंनशियल ट्रांजैक्शन के इंस्ट्रक्शन मिलते हैं. इस सिस्टम का संचालन बेल्जियम से किया जाता है. स्विफ्ट वो इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम है जिसके जरिए कोई भी देश दूसरे देश से व्यापार करने की स्थिति में फटाफट भुगतान कर देता है. इसे एक तेज सुरक्षित सिस्टम माना जाता है. पूरी दुनिया में बिजनेस का लेनदेन इसी स्विफ्ट सिस्टम से किया जाता है.
क्यों महत्वपूर्ण है स्विफ्ट
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अंतरराष्ट्रीय लेन-देन बहुत जरूरी होता है. विदेशी व्यापार से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है. स्विफ्ट के जरिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार, विदेशी निवेश और प्रवासियों की ओर से देश में भेजी जाने वाली रकम जैसे कार्यों का मैनेजमेंट होता है. किसी देश को स्विफ्ट जैसे पेमेंट सिस्टम से बाहर कर दिया जाता है, तो इससे उसे देश की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर पड़ेगा क्योंकि वो दुनिया के फाइनैंशियल सिस्टम में अलग थलग पड़ जाएगा. स्विफ्ट सिस्टम से रूस को बाहर करने से रूसी व्यापार प्रभावित होगा और रूसी कंपनियों के लिए व्यापार करना कठिन हो जाएगा. उत्तर कोरिया (North Korea) और (Iran) पर इसी प्रकार के प्रतिबंध लगे हैं.
भारत के सामने चुनौती
रूस को स्विफ्ट के जरिए लेन-देन पर रोक से भारत की भी मुश्किलें बढ़ी हैं. अब दोनों देशों को दूसरे विकल्पों पर गौर करना होगा. भारत रूस के बीच अब अपने स्थानीय करेंसी रुपये और रूबल में ट्रेड किया जा सकता है. रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों के मद्देनजर भारत लोकल करेंसी के जरिए रूस को ज्यादा आयात कर सकता है.
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