Indian Economy: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था ( Indian Economy) पर बुरा प्रभाव देखा जा सकता है. भारत के एक्सपोर्ट्स ( Exports) में कमी आ सकती है. वहीं कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ( Crude Oil Price Hike) के चलते कंपनियों के लागत में बढ़ोतरी आएगी जिससे महंगाई बढ़ सकती है. इस सब के चलते देश का आर्थिक विकास में कमी आ सकती है. डाटा और एनालटिक्स कंपनी ग्लोबलडाटा ( GlobalData) ने 2021-22 के बीच भारत के आर्थिक विकास दर में 0.1 फीसदी घटाकर 7.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.
लंदन की आंकड़ा विश्लेषण और परामर्श कंपनी ने रूस-यूक्रेन के बीच जारी सैन्य संकट के कारण तेल की कीमतों में उछाल की वजह से भारत के निर्यात पर पड़ने वाले असर का हवाला देते हुए घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि के अनुमान को कम किया है. ग्लोबलडाटा ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया के कमजोर बने रहने के आसार है जबकि कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति बढ़ेगी. हालांकि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र मजबूत बना रहेगा. बयान में कहा गया, ‘‘रूस और यूक्रेन के बीच जारी सैन्य संकट का भारत के निर्यात पर नकरात्मक प्रभाव पड़ेगा और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से कच्चे माल तथा उपभोक्ता वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे.
कंपनी ने कहा कि इन सभी कारणों को देखते हुए ग्लोबलडाटा ने भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के अनुमान को 0.1 प्रतिशत घटाकर 7.8 प्रतिशत कर दिया है. गौरतलब है कि 2020 में भारत के कुल आयात में यूक्रेन और रूस का संयुक्त रूप से 2.2 प्रतिशत हिस्सा था. ग्लोबलडाटा ने इसके अलावा अनुमान जताया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न भू-राजनीतिक जोखिम के कारण 2022 में भारत की मुद्रास्फीति दर 5.5 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी, जो 2021 में 5.1 प्रतिशत थी.
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