Price Cap on Russian Oil: पश्चिमी देशों ने 5 दिसंबर 2022 को रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल का प्राइस कैप लगाने की घोषणा कर दी थी. अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने यह कदम मस्को पर यूक्रेन (Russia-Ukraine War) को लेकर दबाव बनाने के लिए उठाया है. इस प्राइस कैप का समर्थन अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत कई देश कर रहे हैं. पश्चिमी देशों के इस फैसले के बाद से इस बात को लेकर चिंता जाहिर की जा रही थी कि क्या अब भारत पर इस प्राइस कैप का क्या असर पड़ेगा.
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भारत को इस प्राइस कैप के लागू होने के बाद भी सस्ते तेल का फायदा मिलता रहेगा. भारत 60 डॉलर के प्राइस कैप से बहुत कम प्राइस में कच्चे तेल (Crude Oil Price) खरीद सकता है. आपको बता दें कि भारत ने पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्राइस कैप को अपना समर्थन नहीं दिया है. ऐसे में भारत पर इस कैप का असर पड़ने की संभावना कम है.
भारत को रूस से कच्चा तेल खरीदने में नहीं होगी दिक्कत
भारत ने रूस से 80 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल Urals क्रूड, ESPO Blend और Sokol Blend मंगवाया था. इन सभी की मौजूदा कीमतों की बात करें तो यह 49 डॉलर प्रति बैरल, 62 डॉलर प्रति बैरल और 69 डॉलर प्रति बैरल के आसपास ट्रेंड कर रहा है. ऐसे में भारतीय रिफाइनरी को इन तेल को डिस्काउंट प्राइस पर खरीदने में किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ सकता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत आगे भी 60 डॉलर के कैप के अंदर ही कच्चे तेल को रूस से खरीद सकता है क्योंकि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के प्राइस में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.
रूस प्राइस कैप लगाने वाले देशों को नहीं देगा तेल
इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए रत्नागिरी रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल के सीईओ एमके सुवर्णा ने कहा कि अगर रूस के तेल का प्राइस लगातार गिरता है तो रूस अपने तेल को कम दामों में बेचने के बजाए उसकी सप्लाई को कम करने के ऑप्शन पर विचार कर सकता है. इससे मार्केट में तेल की डिमांड बढ़ेगी और इससे रूस के कच्चे तेल के प्राइस में भी बढ़त देखी जाएगी. इसके साथ ही रूस उन देशों को तेल की सप्लाई बंद कर सकता है जिन देशों ने इस प्राइस कैप को अपना समर्थन दिया है.
इसके साथ ही एमके सुवर्णा ने यह भी कहा कि भारत रूस से तेल खरीदते वक्त अपने फायदे को सर्वोपरि रखेगा. अगर उसे रूस से तेल खरीदते वक्त फायदा नहीं होगा तो वह रूस से तेल खरीदना बंद भी कर सकता है. ऐसे में मौजूदा स्थिति में रूस के ऊपर लगे प्राइस कैप का असर भारत पर बहुत कम पड़ने की संभावना है. भारत 60 डॉलर प्रति बैरल से बहुत कम प्राइस में रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रख सकता है.
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