यूक्रेन संकट का भारत-थाइलैंड जैसे कच्चे तेल के आयातकों पर सबसे ज्यादा असर दिखेगा, S&P की रिपोर्ट में दावा
एसएंडपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन विवाद का सबसे बड़ा जोखिम बाजार के उतार-चढ़ाव और कमोडिटी की ऊंची कीमतों का है. ऊर्जा की बड़ी आयातक उभरती अर्थव्यवस्थाएं इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी.
S&P Report on India: रूस-यूक्रेन युद्ध से एशिया-प्रशांत के देशों में भारत और थाइलैंड जैसे कच्चे तेल के बड़े आयातक सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बीती रात को यह बात कही. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बैंकों का रूस में काफी कम निवेश है. उससे उनपर युद्ध का प्रभाव सीमित रहने की संभावना है. हालांकि, कई अन्य जोखिम इस स्थिति से जुड़े हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 फीसदी की दर से बढ़ेगी- S&P
एसएसंडी का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 फीसदी की दर से बढ़ेगी. अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2023-24 में छह फीसदी और 2024-25 में 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. एसएंडपी ने चालू वित्त वर्ष में देश में महंगाई दर के 5.4 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है.
इमर्जिंग इकोनॉमी पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
एसएंडपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन विवाद का सबसे बड़ा जोखिम बाजार के उतार-चढ़ाव और कमोडिटी की ऊंची कीमतों का है. ऊर्जा की बड़ी आयातक उभरती अर्थव्यवस्थाएं इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी.
भारत पर सबसे ज्यादा कच्चे तेल की चढ़ती कीमतों का असर दिखेगा
भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85 फीसदी आयात से पूरा करता है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल का एशिया में भारत पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. बीती 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पिछले सप्ताह कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए हैं. हालांकि, उसके बाद दाम नीचे आए हैं और अब कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है.
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