S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा- कोरोना की दूसरी लहर भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार सकती है लेकिन...
मार्च 2021 को समाप्त हुए पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में आठ प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. एस एण्ड पी ने मार्च में भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष के दौरान 11 प्रतिशत की वृद्धि हासिल होने का अनुमान व्यक्त किया था.
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नई दिल्ली: एस एण्ड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने आज कहा कि भारत की रेटिंग को अगले दो साल तक मौजूदा स्तर पर ही रखा जायेगा. उसके बाद अगले कुछ सालों में उसकी वृद्धि दर कुछ तेज होगी, जिससे उसकी सावरेन रेटिंग को समर्थन प्राप्त होगा. अमेरिका की इस रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत सुधार को पटरी से उतार सकती है. लेकिन इसका आर्थिक प्रभाव पिछले साल के मुकाबले कम होगा.
मार्च 2021 को समाप्त हुए पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में आठ प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. एस एण्ड पी ने मार्च में भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष के दौरान 11 प्रतिशत की वृद्धि हासिल होने का अनुमान व्यक्त किया था.
आर्थिक वृद्धि दर कम होने का अनुमान
रेटिंग एजेंसी ने इस सप्ताह अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच उसे चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि की दर कम रहकर 9.8 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है. उसने कहा है कि उसका यह अनुमान इस परिदृश्य पर आधारित है कि संक्रमण का मौजूदा दौर मई में अपने चरम पर पहुंच चुका होगा.
एस एण्ड पी ने कहा है कि यदि संक्रमण का मौजूदा दौर लंबा खिंचता है और यह जून तक ही अपने चरम पर पहुंचता है तो ऐसी स्थिति में वृद्धि की दर 8.2 प्रतिशत भी रह सकती है.
एस एण्ड पी के वैश्विक रेटिंग निदेशक -सावरेन एवं लोक वित्त रेटिंग- एंड्रयू वुड ने एक वेबिनार में कहा कि सामान्य गिरावट के परिदृश्य में सरकार की राजकोषीय स्थिति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं होगा. वेबिनार का आयोजन ‘‘कोविड की दूसरी लहर का भारत पर क्या प्रभाव होगा’ विषय पर किया गया था.
राजस्व सृजन कमजोर रह सकता है
बुड ने कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार के सामान्य राजकोषीय घाटे के 11 प्रतिशत के अनुमान पर दबाव बढ़ सकता है क्योंकि इस दौरान राजस्व सृजन कमजोर रह सकता है लेकिन रिण स्टॉक मोटे तौर पर जीडीपी के 90 प्रतिशत के ऊपर स्थिर रह सकता है. उन्होंने कहा कि स्थिति बिगड़ने पर सरनकार पर अतिरिक्त वित्तीय खर्च का दबाव होगा और राजस्व प्राप्तियां कमजोर रहेंगी. इसका मतलब होगा कि रिण स्टॉक केवल अगले वित्ती वर्ष में ही स्थिर हो पायेंगे.
इस दौरान भारत की रेटिंग ‘बीबीबी-’ पर स्थिर रहेगी. अगले दो साल के दौरान हमें रेटिंग के स्तर में बदलाव की उम्मीद नहीं है. हालांकि, इस दौरान कोविड-19 की दूसरी लहर का भारतीय अर्थव्यवसथा पर कुछ असर होगा जिसका हमारी सावरेन क्रेडिट गुणा-भाग में भी प्रभाव पड़ सकता है.
एस एण्ड पी ने पिछले साल भारत की रेटिंग को लगातार 13वें साल स्थिर परिदृश्य के साथ निवेश के सबसे निचले ग्रेड ‘बीबीबी-’ में बरकरार रखा था.
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