Indian Startups: हॉटमेल (Hotmail) के फाउंडर सबीर भाटिया (Sabeer Bhatia) को लगता है कि भारत के वेंचर कैपिटलिस्ट की सोच प्राइवेट इक्विटी की तरह है. एक तरफ दुनिया के वीसी सोचते हैं कि अगर आज पैसा नहीं बन रहा तो कोई बात नहीं लेकिन, एक दिन बनेगा. भारत में वीसी हैं ही नहीं. यहां वो सिर्फ पैसा कमाने के बारे में सोचते हैं. यही वजह है कि देश में कभी कोई वायरल कंपनी नहीं बन पाई. भारत के वीसी सिर्फ पैसा गिनना चाहते हैं. ये वजह है की एलन मस्क (Elon Musk) उन्हें बीन काउंटर्स कहते हैं. 


भारत के कानून और लोगों की समझ स्टार्टअप के हिसाब से नहीं


सबीर भाटिया ने टिकटॉक (TikTok) का उदाहरण देते हुए बताया कि यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हर साल 4 से 5 अरब डॉलर का नुकसान कर रहा है. मगर, इसकी वैल्यूएशन 250 अरब डॉलर है. हालांकि, टिकटॉक की मदद से उनके पास पूरी दुनिया का डेटा आ रहा है. यही वजह है कि नुकसान उन्हें परेशान नहीं कर रहा. मगर, भारत के कानून और लोगों की समझ स्टार्टअप के हिसाब से है ही नहीं. इसे बदलना चाहिए. उधर, ऊबर ने अमेरिका में हर टैक्सी कानून का उल्लंघन किया लेकिन, वह रोजगार पैदा कर रहे थे इसलिए उन्हें रोका नहीं गया. 


भारत में वो कंपनियां खुलीं, जो पहले से दुनिया में कहीं चल रहीं 


सबीर भाटिया ने कहा कि भारत के ज्यादातर स्टार्टअप ओरिजिनल आईडिया से नहीं बने हैं. यहां वो कंपनियां खुलीं, जो पहले से दुनिया में कहीं चल रही थीं. यहां इनोवेशन की कमी है. कॉपी करना इनोवेशन कैसे हो सकता है. सिलिकॉन वैली (Silicon Valley) में 100 में से 99 आईडिया फेल होते हैं. मगर, वहां कोशिशें नहीं रुकतीं. यही वजह है कि एलन मस्क भी लगातार कुछ न कुछ नया ट्राई करते रहते हैं. 


हॉटमेल लॉन्च करने से पहले 18 जगह झेली असफलता 


हॉटमेल के फाउंडर सबीर भाटिया ने बताया है कि उन्हें अपनी कंपनी लॉन्च करने से पहले 18 जगह असफलता झेलनी पड़ी थी. उन्होंने बताया कि वह 18 वेंचर कैपिटलिस्ट (VC) के पास हॉटमेल का आईडिया लेकर गए थे. मगर, किसी ने भी उन्हें पैसा नहीं दिया. मगर, इसके बाद उन्हें सफलता मिली और दुनिया के पहले फ्री वेब बेस्ड ईमेल सर्विस की शुरुआत हुई. सबीर भाटिया का कहना है कि फेल होना गलत नहीं है. नए आईडिया नकारना और उस पर काम न करना गलत है. 


हमने एक साल में 50 लाख लोगों को हॉटमेल से जोड़ा 


बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, सबीर भाटिया ने कहा कि जब हम 19वें वीसी ड्रेप फेसर (Drape Facer) के पास पहुंचे तो उन्हें हॉटमेल का आईडिया कमाल का लगा. उन्होंने हमें 3 लाख डॉलर दिए. हमने 4 जुलाई, 1996 को हॉटमेल लॉन्च किया. इसके तीन महीने में ही हॉटमेल से 3 लाख लोग जुड़ चुके थे. एक साल में हॉटमेल का इस्तेमाल 50 लाख लोग करने लगे थे. हम हर ईमेल के अंत में एक लाइन जोड़ देते थे. इसमें लिखा होता था कि यह ईमेल हॉटमेल से भेजा गया है, जो कि फ्री सर्विस है. इससे हमारे सब्सक्राइबर तेजी से बढ़े. 


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