Salary Account Rules: सैलरी अकाउंट को आपके आर्थिक खर्चों को पूरा करने के लिए सबसे बड़ा साधन माना जाता है लेकिन फिर भी इससे जुड़े कुछ ऐसे नियम हैं जिनके बारे में आपको जानना चाहिए. जब आप किसी संस्थान में कर्मचारी के रूप में कार्य करते हैं तो आपके लिए वहां सैलरी अकाउंट खोला जाता है. यहां पर आप सैलरी अकाउंट से जुड़े नियमों के बारे में जानिए.


कितना होना चाहिए सैलरी अकाउंट में बैलेंस
सैलरी अकाउंट में मिनिमम बैलेंस का कोई नियम नहीं है और ना ही इसमें आप पर पेनल्टी लगती है लेकिन अगर आप प्रीवियस एंप्लायर का सैलरी अकाउंट चला रहे हैं तो आपके लिए ये नियम जानना जरूरी है. अगर तीन महीने से ज्यादा सैलरी अकाउंट में आपकी आय नहीं आती है तो वो खाता सैलरी अकाउंट से जनरल अकाउंट में बदल जाता है और इस पर सामान्य सेविंग अकाउंट के नियम लागू हो जाते हैं. इस स्थिति में उस बैंक के सेविंग खातों में मिनिमम बैलेंस का जो नियम होगा, वही आपको मानना होगा और उतनी तय राशि खाते में रखनी होगी.


सैलरी अकाउंट के साथ मिलने वाले फायदों को भी जानें
सैलरी अकाउंट रखने वालों को बैंक अपनी पर्सनलाइज चेक बुक देता है जिसके हर चेक पर एंप्लाई का नाम प्रिंट होगा. फोन या इंटरनेट के जरिए पेमेंट्स करने की सुविधा भी आपको सैलरी अकाउंट के साथ मिल सकती है. डिपॉजिट लॉकर, सुपर सेवर फैसिलिटी, मुफ्त इंस्टाअलर्ट्स, फ्री पासबुक और फ्री ईमेल स्टेटमेंट जैसी सुविधाएं भी सैलरी अकाउंट रखने वालों को मिलती हैं. इस तरह आप कई फायदे सैलरी अकाउंट के साथ उठा सकते हैं.


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