सरकार की रत्नागिरी रिफाइनरी प्रोजेक्ट से अरामको के हटने की खबरों के बीच सऊदी अरब की इस सबसे बड़ी तेल कंपनी ने कहा है कि उसका ऐसा कोई इरादा नहीं है. इस प्रोजेक्ट के सीईओ ने कहा है कंपनी इस प्रोजेक्ट को कतई नहीं छोड़ रही. ऐसी खबरें आ रही थीं कि तेल की गिरती कीमतों को देखते हुए अरामको महाराष्ट्र में रत्नागिरी रिफाइनरी प्रोजेक्ट को छोड़ कर बीपीसीएल या रिलायंस इंडस्ट्रीज में निवेश कर सकती है.


विदेशी निवेश हासिल करने की होड़ में नहीं प्रोजेक्ट 


रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल लिमिटेड के सीईओ बी अशोक ने कहा कि यह परियोजना विदेशी निवेश के लिए किसी दूसरी परियोजना से होड़ नहीं कर रही. यह परियोजना अपने दम पर खड़ी हो सकती है, निवेश आकर्षित कर सकती और अच्छा रिटर्न भी दे सकती है. रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल लिमिटेड महाराष्ट्र के रत्नागिरी में 6 करोड़ सालाना रिफाइनरी क्षमता वाली रिफाइनरी स्थापित कर रही है.


रत्नागिरी प्रोजेक्ट को लेकर कैश की कमी नहीं 


इकनॉमिक टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में बी अशोक ने कहा कि यह रिफाइनरी लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए एक अच्छा निवेश है. इसे तुरंत कैश की कोई जरूरत नहीं है और इसकी पहुंच उन देशों में हो सकती है जहां तेल की मांग बढ़ सकती है. सऊदी अरब की कंपनी अरामको ने 2018 में इसमें 50 फीसदी हिस्सेदारी ली थी. बाकी 50 फीसदी हिस्सेदारी इंडियन ऑयल, बीपीसीएल, एचपीसीएल और अबू धाबी की नेशनल ऑयल कंपनी Adnoc के पास है.


सऊदी अरामको रिलायंस के तेल बिजनेस में 15 अरब डॉलर की हिस्सेदारी खरीदने की होड़ में है. इमें रूस की Rosneft होड़ में है. इसके साथ ही बीपीसीएल में भी सरकार की हिस्सेदारी खरीद सकती है. दरअसल रत्नागिरी परियोजना की तुलना में रिलायंस और बीपीसीएल में हिस्सेदारी खरीद लेने से अरामको की यहां की रिफाइनरियों और रिटेल नेटवर्क तक आसान पहुंच हो जाएगी. इस वजह से भी अरामको के बीपीसीएल और रिलायंस के रिफाइनरी बिजनेस में हिस्सेदारी खरीदने की खबरें आ रही हैं.


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